SC Continues Review of ED’s Powers: ED की शक्तियों (ED Powers) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज PMLA के तहत सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि वह सॉलिसिटर जनरल से सहमत या असहमत हो सकते हैं लेकिन उनको सुनवाई शुरू करने दी जाए।
इस दौरान कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले पर सुनवाई जारी रखेगा। जिन याचिकाओं पर अदालत सुनवाई कर रहा है इनको कई मनी लॉन्ड्रिंग मामलों (Money Laundering Cases) के आरोपियों ने दायर किया है।
केंद्र की तरफ से SG तुषार मेहता ने यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि पहले याचिकाओं में केवल 2 प्रावधानों की वैधता को चुनौती दी गई थी, लेकिन अब कई अन्य प्रावधानों को चुनौती दी गई है। PMLA वर्तमान में देश के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण कानून है।
जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र ने मांगा समय
केंद्र की तरफ से अदालत में कहा गया कि इस पीठ के समक्ष याचिकाएं सूचीबद्ध होने के बाद इन याचिकाओं में कई संशोधन किए गए, जबकि शुरुआत में सिर्फ धारा 50, 63 को चुनौती दी गई थी।
उनको कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन अब पांच और धाराओं को चुनौती दी गई है। उस मामले में सुनवाई शुरू होने से पहले उनको जवाब दाखिल करने का मौका दिया जाना चाहिए। अगर दायर करने के बाद याचिका में संशोधन होता है तो हमें जवाब देना होगा।
18 अक्तूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाते हुए कहा था कि वो PMLA प्रावधानों की समीक्षा करेगा। साथ ही अदालत ने केंद्र की मांग ठुकरा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था PMLA प्रावधानों की जांच राष्ट्रीय हित में हो सकती है। अदालत ने कहा था कि PMLA प्रावधानों के तहत ED की शक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ ने कुछ PMLA प्रावधानों की समीक्षा को “राष्ट्रीय हित में” एक महीने के लिए स्थगित करने की केंद्र की मांगा को खारिज कर दिया था।
केंद्र की दलील को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने कहा कि जब तक कि अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था FATF मनी लॉन्ड्रिंग अपराधों से निपटने के लिए मूल्यांकन पूरा नहीं कर लेती, तब तक राष्ट्रहित में कम से कम एक महीने तक सुनवाई न हो। उन्होंने ये भी कहा कि 2022 का फैसला तीन जजों का था, जिस पर पुनर्विचार याचिका लंबित है।
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की ये बेंच सुनवाई नहीं कर सकती। लेकिन जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने केंद्र की इस दलील को खारिज कर दिया। जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि हमें सुनवाई करने से कोई रोक नहीं रोक सकता। सुनवाई के दौरान हम तय करेंगे कि हम सुनवाई कर सकते हैं या नहीं।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल बेंच का गठन किया गया है। जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है।
27 जुलाई 2022 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट PMLA के तहत ED द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को बरकरार रखा था।
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिंदबरम और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख समेत 242 याचिकाओं पर SC फैसला सुनाया था।
ED की शक्तियों के खिलाफ दायर याचिकाएं
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और सीटी रवि कुमार की बेंच ने यह फैसला सुनाया था। याचिकाओं में धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती दी गई थी।
याचिकाओं में PMLA के तहत अपराध की इनकम की तलाशी, गिरफ्तारी, जब्ती, जांच और कुर्की के लिए प्रवर्तन निदेशालय को उपलब्ध शक्तियों के व्यापक दायरे को चुनौती दी गई, इसमें कहा गया है कि ये प्रावधान मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं।
इस मामले में कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और मुकुल रोहतगी समेत कई वरिष्ठ वकीलों ने हाल के PMLA संशोधनों के संभावित दुरुपयोग से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर SC के समक्ष दलीलें दीं।
कड़ी जमानत शर्तों, गिरफ्तारी के आधारों की सूचना न देना, ECIR (FIR के समान) कॉपी दिए बिना व्यक्तियों की गिरफ्तारी, मनी लॉन्ड्रिंग (Money laundering) की व्यापक परिभाषा और अपराध की आय, और जांच के दौरान आरोपी द्वारा दिए गए बयान ट्रायल में बतौर सबूत मानने जैसे कई पहलुओं पर कानून की आलोचना की गई।