False Allegation of Rape of Daughter : कहते हैं दूसरे को गड्डा खोदने वाला एक दिन खुद गड्डे में गिरता है। ठीक उसी तरह जिस तरह एक महिला ने अपने विराधी को फंसाने के लिए अपनी बेटी से रेप का झूठा आरोप (False Allegation of Rape of Daughter) लगा दिया।
सच्चाई सामने आई तो अदालत ने उसी महिला पर एक लाख का जुर्माना लगा दिया। जुर्माना के साथ कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि महिला जैसे लोग भूमि विवाद, विवाह विवाद, व्यक्तिगत द्वेष, राजनीतिक उद्देश्यों या व्यक्तिगत लाभ के लिए आरोपियों को लंबे समय तक जेल में रखकर अपमानित करने के लिए पॉक्सो अधिनियम के तहत अक्सर फर्जी मामले दर्ज करवा रहे हैं।
अदालत ने कहा, यह कानून का घोर दुरुपयोग है और इस तरह के कृत्य कानून के उद्देश्य को कमजोर करते हैं। राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने एक महिला को झूठी शिकायत दर्ज कराने का दोषी ठहराते हुए 1 लाख रुपये जुर्माना भरने का निर्देश दिया है।
न्यायाधीश डागर ने अपने फैसले में कहा, मौजूदा मामले में, शिकायतकर्ता को अपने कथित संपत्ति विवाद को निपटाने के लिए उपलब्ध वैकल्पिक उपायों के बजाय Poxo Act का दुरुपयोग करते हुए पाया गया है।
महिला ने कानून और कानून की क्रियान्वयन एजेंसी (Implementing Agency) के अधिकार को गुमराह किया और उसका दुरुपयोग किया। इसलिए शिकायतकर्ता पर पॉक्सो अधिनियम की धारा 22 के तहत एक महीने के भीतर किए गए अपराध के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाता है और जुर्माने के भुगतान में चूक के मामले में, उसे तीन महीने की साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी।
न्यायाधीश ने कहा…
प्रॉपर्टी विवाद (Property Dispute) में अपने विरोधी को फंसाने के लिए महिला ने उसके खिलाफ अपनी 5 साल की बेटी से रेप करने का आरोप लगाया था और पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज करवाया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर ने लड़की की मां के खिलाफ मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया, जिस पर झूठी गवाही देने का आरोप था।
न्यायाधीश ने कहा कि यह स्पष्ट है कि उसने गुस्से में आकर और खुद को रोज-रोज के झगड़ों से बचाने के लिए झूठी शिकायत की है। अदालत ने कहा कि महिला ने कुछ लोगों पर अपनी बेटी के खिलाफ अपराध का आरोप लगाते हुए झूठी शिकायत दर्ज की थी, जिस पर पॉक्सो अधिनियम की धारा 5 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इसमें कहा गया है कि यह झूठी सूचना आरोपी से संपत्ति हड़पने के लिए दी गई थी। अदालत ने 17 नवंबर के एक आदेश में कहा, महिला को संपत्ति विवाद के निपटारे के लिए झूठी शिकायत पर यह झूठा मामला दर्ज करवाने और पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों का दुरुपयोग करते हुए पाया गया है, जिससे आरोपी व्यक्तियों को अपमान और बदनामी का सामना करना पड़ा। उसने आपराधिक न्याय प्रणाली का भी दुरुपयोग करने की कोशिश की।
आरोपों की संभावना को खत्म करने की कोशिश करनी होगी
कोर्ट ने टिप्पणी की कि महिला जैसे लोग भूमि विवाद, विवाह विवाद, व्यक्तिगत द्वेष, राजनीतिक उद्देश्यों या व्यक्तिगत लाभ के लिए आरोपियों को लंबे समय तक जेल में रखकर अपमानित करने के लिए पॉक्सो अधिनियम के तहत अक्सर फर्जी मामले दर्ज करवा रहे हैं। अदालत ने कहा, यह कानून का घोर दुरुपयोग है और इस तरह के कृत्य कानून के उद्देश्य को कमजोर करते हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर (Sushil Bala Dagar) ने कहा, अदालतों को इस बढ़ते खतरे के खिलाफ सतर्क रुख अपनाना होगा और पीड़ित या कथित अपराधी के कारण न्याय को खतरे में डाले बिना झूठे आरोपों की संभावना को खत्म करने की कोशिश करनी होगी.
अदालत ने कहा, यह देखा गया है कि अपने व्यक्तिगत उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सबसे कड़े कानूनों का दुरुपयोग हमारी कानूनी प्रणाली में एक स्पष्ट समस्या रही है।
पॉक्सो अधिनियम (Poxo Act) भी कोई अपवाद नहीं है। पॉक्सो अधिनियम की धारा 22 (झूठी शिकायत या गलत जानकारी के लिए सजा) यह सुनिश्चित करती है कि कानून का दुरुपयोग नहीं किया जाए।