Karnataka High Court : पति के आधार कार्ड (Husband Aadhar Card) की जानकारी पत्नी मांग सकती है या नहीं या फिर पत्नी के पास इसकी जानकारी एकतरफा हासिल करने का हक है भी या नहीं, इस सवालों को लेकर High Court का एक बड़ा फैसला दिया है।
कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने फैसला सुनाया है कि कोई पत्नी केवल वैवाहिक संबंधों के आधार पर अपने पति के आधार डेटा की जानकारी एकतरफा नहीं मांग सकती है, जो कानून के वैधानिक ढांचे के भीतर गोपनीयता अधिकारों की स्वायत्तता और सुरक्षा पर जोर देती है। इतना ही नहीं, Court ने स्पष्ट कहा कि शादी से पति की निजता का अधिकार कम नहीं हो जाता है।
खबर के मुताबिक, Justice S Sunil Dutt Yadav & Justice Vijaykumar A Patil की खंडपीठ ने कहा कि शादी से आधार कार्डधारक की निजता का अधिकार कम नहीं होता है और निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।
दरअसल, Karnataka High Court का फैसला हुबली स्थित एक महिला की याचिका के जवाब में आया, जिसमें महिला ने अपने से अलग रह रहे पति का आधार नंबर, Enrollment Details और Phone number मांगा था।
महिला ने याचिका में दलील दी थी कि पति की Details नहीं होने की वजह से उन्हें पारिवारिक अदालत (Family Court) के भरण-पोषण वाले आदेश को लागू करने में कठिनाइ हो रही है।
दरअसल, Couple ने नवंबर 2005 में शादी की थी और उनकी एक बेटी है। दोनों के बीच रिश्ते में आई परेशानियों के बाद महिला ने कानूनी कार्यवाही शुरू की थी, जिसके बाद पारिवारिक अदालत ने उन्हें भरण-पोषण के रूप में 10,000 रुपये और उनकी बेटी के लिए अतिरिक्त 5,000 रुपये दिए जाने का आदेश दिया था।
8 फरवरी, 2023 को महिला के पक्ष में कोर्ट का फैसला आया
महिला ने अपने पति के अज्ञात ठिकाने के कारण पारिवारिक अदालत के आदेश को लागू करने में चुनौतियों की सूचना दी थी। मदद की गुहार लगाकर महिला ने UIDAI यानी भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण से भी संपर्क किया, मगर उसका आवेदन 25 फरवरी, 2021 को खारिज कर दिया गया।
इसके बाद महिला ने राहत की उम्मीद लिए High Court की एकल पीठ का रुख किया और इसके बाद 8 फरवरी, 2023 को महिला के पक्ष में कोर्ट का फैसला आया।
एकल पीठ ने UIDAI को उसके पति को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। इतना ही नहीं, UIDAI को RTI के तहत महिला की याचिका पर विचार करने को भी कहा।
महिला ने तर्क दिया कि विवाह का तात्पर्य पहचानों के विलय से है, जो जीवनसाथी की जानकारी तक उसकी पहुंच को उचित ठहराता है। हालांकि, High Court की खंडपीठ ने Supreme Court की टिप्पणियों का हवाला दिया और कहा कि किसी भी खुलासे से पहले दूसरे व्यक्ति को भी अपना पक्ष रखने का हक है।