CBI AIIMS Purchase Scam Case: भारतीय राष्ट्रीय आय़ुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में खरीद घपले को लेकर CBI ने समरी पेश की है। जानकारी के अनुसार AIIMS के ट्रोमा सेंटर (Trauma Center) में उपकरणों आदि की खरीद से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई के बाद CBI की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में 250 पेज की समरी पेश की गई है।
21 Page की समरी की है पेश
जबकि याचिकाकर्ता संजीव चतुर्वेदी ने मात्र 21 Page की समरी ही पेश की है। इस याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद 22 नवंबर से अपना फैसला सुरक्षित रखा है। हालांकि परंपरा के मुताबिक अधिकतम 5 पेज में ही समरी पेश की जा सकती है।
इस याचिका में IFS संजीव चतुर्वेदी ने AIIMS के मुख्य सतर्कता अधिकारी (CVO) रहते हुए ट्रोमा सेंटर के निदेशक डॉ.M.C. मिश्रा AIIMS के तत्कालीन निदेशक के मातहत स्टोर प्रभारी ने अपनी बहू-बेटे की फर्म से प्रॉपराइटी सर्टिफिकेट (Property Certificate) के आधार पर बिना Tender के करोड़ों रुपए की खरीद कर ली थी। इस का अनुमोदन AIIMS के तत्कालीन निदेशक ने किया था।
CBI को एक पत्र लिखकर इसे आपराधिक कृत्य, भ्रष्टाचार (Corruption) और सेवा नियमों का उल्लंघन बताते हुए FIR दर्ज करके जांच करने की अभिशंषा की थी। पत्र में यह भी कहा गया था कि जो सामान संबंधित फर्म से महंगी दरों पर खरीदा गया है, वह AIIMS के ही बाकी केंद्रों के रेट कांट्रेक्ट में आधी कीमत पर उपलब्ध हैं।
AIIMS में भ्रष्टाचार किया
लेकिन, CBI ने चतुर्वेदी के पत्र में उठाए गए मुख्य बिंदुओं परिजनों की फर्मों से बिना Tender खरीद, सेवा नियमों का उल्लंघन आदि बिंदुओं को हटाते हुए AIIMS के निदेशक को खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता और सतर्कता का उल्लंघन करते हुए कार्रवाई करने के लिए अभिशंसा की गई थी।
इस पर चतुर्वेदी ने CBI की ओऱ से FIR दर्ज नहीं किए जाने को याचिका दायर करके हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। गौरतलब है कि Property Certificate AIIMS की ओऱ से कुछ फर्मों को जारी किया जाता था। इसका मतलब है कि दुनिया में यही फर्म है जो केवल विशेष तरह के उपकरण बना सकती है।
इसके आधार पर टेंडर प्रक्रिया करने की जरूरत नहीं रहती। इसी को आधार बनाकर AIIMS में भ्रष्टाचार किय गया था।AIIMS के CVO की सिफारिश के बावजूद FIR दर्ज नहीं किए जाने से हैरान संजीव चतुर्वेदी ने CBI से इस प्रकरण से संबंधित फाइल की पूरी पत्रावली की Copy सूचना का अधिकार के तहत मांग ली, जिसे देने से मना कर दिया।