jharkhand vidhansabha Saryu Rai : झारखंड विधानसभा सत्र के शीतकालीन सत्र (winter session) के अंतिम दिन गुरुवार को 1932 के खतियान और इसके बाद से लेकर वर्ष 2000 में झारखंड गठन के बीच यहां आने वाले लोगों के लिए निर्दलीय विधायक सरयू राय ने निजी संकल्प रखा।
निजी संकल्प के रूप में सदन में उन्होंने निजी अभिस्ताव विचारार्थ रखा, जिस पर संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने उत्तर भी दिया।
सरयू राय ने संकल्प रखा कि यह सभा राज्य सरकार से अभिस्ताव करती है कि झारखंड राज्य में स्थानीय नीति निर्धारित करने में 1932 खतियान का समावेश करने के साथ ही 1932 से 2000 और 2000 से 2023 के बीच की अवधि के सामाजिक-आर्थिक-औद्योगिक एवं वैधानिक परिदृश्यों के परिणामों पर भी विचार किया जाय और तत्संबंधी निर्णयों में निदेशित बिन्दुओं को इसका अंग बनाया जाय।
बिहार पुनर्गठन अधिनियम-2000 के प्रावधानों, झारखंड हाई कोर्ट मुकदमा संख्या-WUP (PIL)-4050/2002 एवं WUP (PIL)-3912/2002 में पांच जजों की खंडपीठ के निर्णय में विहित निर्देशों और RI कोहले बनाम तमिलनाडु सरकार मुकदमा में सर्वोच्च न्यायालय के नौ जजों की संविधान पीठ के 2007 के फैसले की भावना पर विचार किया जाय।
इसके बिना बनाई जाने वाली झारखंड की स्थानीय नीति संविधान के सुसंगत प्रावधानों के अनुरूप नहीं होगी तो पूर्व की भांति न्यायिक समीक्षा में इसके खारिज होने का असर अंततः राज्य के युवाओं के भविष्य पर पड़ेगा और वे ससमय नियोजन से वंचित होते रहेंगे।
सरयू राय ने अभिस्ताव पर विस्तार से विषय रखा। सरकार से अनुरोध किया कि उनके अभिस्ताव के कानूनी पहलुओं पर सरकार के विधि विभाग से परामर्श लेकर इसे स्थानीय नीति का अंग बनाए।
राज्य के युवा लंबे समय तक रोजगार से वंचित रहेंगे: सरयू
इस पर मंत्री ने कहा कि कल ही सदन में स्थानीय नीति का प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल को भेजा गया है। इस पर स्पीकर ने कहा कि उनका अभिस्ताव सदन आरम्भ होने के पहले का है।
इसपर सरयू ने कहा कि 20 दिसम्बर के स्थानीय नीति में उनके अभिस्ताव के बिन्दुओं का समावेश नहीं है, बल्कि राज्यपाल द्वारा वापस किए गए विधेयक को ही हू-ब-हू सरकार ने सदन से पारित करा लिया है।
यदि यह भी लौट गया और उनके अभिस्ताव में अंकित 1932 से 2000 और 2000 से 2023 के बीच के घटनाक्रमों और न्याय निर्णयों का समावेश इसमें नहीं हुआ और संवैधानिक प्रावधानों का अनुपालन नहीं हुआ तो राज्य के युवा लंबे समय तक रोजगार से वंचित रहेंगे।
इसके बाद मंत्री आलम ने आश्वस्त किया कि इस बारे में विधि विभाग के मंतव्य से वे उन्हें अवगत कराएंगे। सरयू राय ने उम्मीद जताई है कि झारखंड में स्थानीयता के पुनर्निर्धारण में उनका यह अभिस्ताव नया मोड़ लाएगा।
राज्य में समावेशी स्थानीय नीति बनाने में इसकी महती भूमिका होगी। राज्य की उस आबादी को भी संरक्षण मिलेगा, जो 1932 के खतियान से वंचित है और 1932 के बाद एवं 2000 के बीच झारखंड में बसी है जब बिहार बंटा नहीं था।