Sahitya Academy In Ranchi: राज्यसभा सदस्य महुआ माजी (Mahua Maji) ने कहा कि झारखंड में जल्द ही साहित्य अकादमी का गठन होगा। उन्होंने कहा कि वे भले राजनीति में आयी हैं लेकिन उनके अंदर का लेखक जिंदा है।
साहित्य ने ही उन्हें राजनीति में संवेदनशीलता से काम करना सिखाया है। महुआ माजी रविवार को रांची में आयोजित किताब उत्सव के अन्तिम दिन पहला सत्र ‘साहित्य और राजनीति’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रही थीं।
विकास या विध्वंस के सवाल पर उन्होंने कहा कि जंगल लूटने के लिए केंद्र सरकार ने नया फॉरेस्ट बिल (Forest Bill) पास कराया है। साहित्य अकादमी के सवाल पर उन्होंने कहा कि झारखंड में भी जल्द साहित्य अकादमी बनाई जायेगी।
कार्यक्रम में महुआ माजी ने आदिवासी महोत्सव-2023 के ट्राइबल क्यूजीन प्रतियोगिता (Tribal Cuisine Competition) के विजेताओं को नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
समापन के दिन “हमारा झारखंड, हमारा गौरव” सत्र का भी आयोजन हुआ। इसमें योगेंद्र नाथ सिन्हा के साहित्यिक जीवन पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई, जिसमें वक्ता के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार विद्या भूषण भी उपस्थित थे।
हजारों लोगों ने लिया हिस्सा
विद्या भूषण (Vidya Bhushan) ने कहा कि योगेंद्र नाथ का लेखन मुख्यतः हो जनजाति के जीवनशैली पर रहा। योगेंद्र ने 56 कहानियां आदिवासी समुदाय की पृष्ठभूमि पर लिखीं। वे एक समर्पित कथाकार थे।
“विरासत निर्माता” पर आयोजित तीसरे सत्र में रघुनाथ मुर्मू, लाको बोदरा, पंडित आयता उरांव और प्यारा केरकेट्टा के जीवन और संघर्ष पर विशेष चर्चा की गई। इस सत्र में दूमनी माई मुर्मू, दयामनी सिंकु, प्रेमचंद उरांव और डॉ. तरकेलेंग कुल्लू ने विभिन्न संस्मरणों के माध्यम से झारखंड के विरासत निर्माताओं को याद किया।
किताब उत्सव का अंतिम सत्र काव्य संध्या का रहा। इसमें आदिवासी कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया। इस सत्र का संयोजन वरिष्ठ आदिवासी साहित्यकार वन्दना टेटे ने किया।
सात दिनों तक चले किताब उत्सव में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। इस दौरान लगाई गई पुस्तक प्रदर्शनी में आदिवासी संस्कृति और साहित्य की पुस्तकों (Books on Tribal Culture and Literature) को सर्वाधिक पसन्द किया गया।