Ranchi News: झारखंड की राजनीति के दो स्तंभ का आज जन्मदिन (Birthday) है। एक हैं दिशोम गुरु शिबू सोरेन (Shibu Soren) और दूसरे हैं बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi)।
दोनों ही आदिवासी समाज के दिग्गज नेता हैं। भले ही दोनों दिग्गजों की विचारधारा अलग है लेकिन इनके जिक्र के बिना झारखंड (Jharkhand) की बात पूरी नहीं हो सकती।
दिशोम गुरु शिबू सोरेन (Shibu Soren) 80 साल के हो गए। आज वो अपना 80वां जन्मदिन मना रहे हैं। शिबू सोरेन से दिशोम गुरु बनने की उनकी कहानी काफी संघर्ष भरी है। आज ही के दिन 1944 में उनका जन्म रामगढ़ के नेमरा गांव में हुआ था। शिबू सोरेन ने दसवीं तक की पढ़ाई की है। झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उनके बेटे हैं।
शिबू सोरेन के पिता सोबरन मांझी (Soberan Manjhi) की 1957 में हत्या कर दी गई थी। वो महाजनी प्रथा के खिलाफ लगातार आंदोलन कर रहे थे। अपने पिता की हत्या के बाद ही शिबू सोरेन आदिवासी हित में उग्र होकर बोलने लगे।
उन्होंने धान काटो आंदोलन चलाया। झारखंड मुक्ति मोर्चा का 1972 में गठन हुआ। शिबू सोरेन ने अलग झारखंड की मांग को लेकर आंदोलन चलाया। आपातकाल में उनके नाम का वारंट निकला। उन्होंने तब सरेंडर कर दिया।
शिबू सोरेन झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री बने
शिबू सोरेन झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री बने। पहली बार 1977 में चुनाव लड़े, तब वो हार गए। उसके बाद उन्होंने संथाल की ओर अपना रुख किया। 1980 में वो पहली बार दुमका से जीते। वे आठ बार यहां से जीते। शिबू सोरेन दो बार राज्यसभा सदस्य भी बने। केंद्र में उन्होंने कोयला मंत्रालय का भार भी संभाला।
प्रदेश के दूसरे दिग्गज नेता बाबूलाल मरांडी का आज जन्मदिन है। उनका जन्म 11 जनवरी, 1958 में गिरिडीह के कोदाईबांक गांव में हुआ था। वो किसान परिवार से आते हैं। उन्होंने शिक्षक से मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया है।
Babulal Marandi फिलहाल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष हैं। झारखंड गठन के बाद वो यहां के पहले मुख्यमंत्री बने थे।1990 में बाबूलाल मरांडी भाजपा के संथाल परगना के संगठन मंत्री बने।
बाबूलाल मरांडी दुमका में शिबू सोरेन के विजय रथ को रोका। वहां से सांसद बने। साल 2000 में झारखंड गठन के बाद वो राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने। वह अटल की सरकार में मंत्री भी बने।
साल 2003 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया। बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने 2006 में अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया। तीन चुनाव लड़े। साल 2020 में उन्होंने पार्टी का विलय भाजपा में कर दिया।