Hindu Marriage Act: भारतीय संविधान (Indian Constitution) में कर्तव्यों के साथ व्यापक अधिकारों को शामिल किया गया है। कुछ अधिकार मौलिक हैं। मौलिक अधिकारों में एक अधिकार शादी (Marriage) भी है।
कोई भी लड़का-लड़की अपने पसंद से एक दूसरे से विवाह कर सकते हैं। इसमें जात-धर्म या क्षेत्र बाधा नहीं बन सकते। लेकिन देश में कुछ रिश्ते होते हैं, जिसमें शादी नहीं हो सकती। इन्हें सपिंड विवाह (Sapinda Marriage) कहते हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने इस हफ्ते एक महिला की याचिका खारिज कर दी। वह हिंदू मैरिज एक्ट (Hindu Marriage Act), 1955 की धारा 5(वी) को असंवैधानिक घोषित करने की लंबे समय से कोशिश कर रही थी। यह धारा दो हिंदुओं के बीच शादी को रोकती है अगर वे सपिंड हैं।
शादियों को रोकना संविधान के बराबरी के अधिकार के खिलाफ
मनमीत अरोड़ा की पीठ ने माना कि याचिकाकर्ता ने पक्के सबूत के साथ किसी मान्य रिवाज को साबित नहीं किया, जो कि सपिंड विवाह को सही ठहरा सके।
दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने एक अहम फैसला सुनाकर कहा कि शादी के लिए साथी चुनने का भी कुछ नियम हो सकते हैं। इसलिए, कोर्ट ने माना कि महिला ये साबित करने में कोई ठोस कानूनी आधार नहीं दे पाईं कि सपिंड शादियों को रोकना संविधान के बराबरी के अधिकार के खिलाफ है।
सपिंड विवाह को लेकर बाकी देशों में क्या है?
कई यूरोपीय देशों में जहा इन रिश्तों के लिए कानून भारत की तुलना में कम सख्त हैं जिन्हें भारत में गैर-कानूनी संबंध या सपिंड विवाह माना जाता है। पुर्तगाल में भी इन रिश्तों को अपराध नहीं माना जाता। Ireland गणराज्य में 2015 में समलैंगिक विवाह (Gay Marriage) को मान्यता दी गई, लेकिन इसमें इसतरह के रिश्ते शामिल नहीं किए गए।
इटली (Italy) में ही ये रिश्ते सिर्फ तभी अपराध माने जाते हैं जब ये समाज में हंगामा मचाए। America में बात थोड़ी अलग है। वहां के सभी 50 राज्यों में सपिंडा जैसी शादियां अवैध हैं। हालांकि, New Jersey और रोड आइलैंड नाम के दो राज्यों में अगर व्यस्क लोग आपसी सहमति से इसतरह के रिश्ते में हैं, तब अपराध नहीं माना जाता।
लेबनीज-फ्रेंच लेखिका क्रिस्टियाने वेक्ड को कुछ पुस्तकें पढ़ने का मौका मिला और उनके दिल में भारत के प्रति ऐसा प्रेम उमड़ा कि वे कहती हैं, यह कभी कम नहीं हो सकता है। उन्होंने खलील जिब्रान, इब्न बतूता, नगुइब महफूज जैसे लेखकों की किताबें पढ़कर भारतवर्ष से परिचित हुईं।
जब बेरूत में मेरा बचपन बीत रहा था, मेरे पास एक गुप्त नखलिस्तान था। वह था, किताबों से भरा एक कमरा। यह हमारे पड़ोसी मेडेलीन का था।
उनकी Library बहुत समृद्ध थी। हमें वहां ज्यां पॉल सांत्र और अल्बर्ट कैमस जैसे फ्रांसीसी अस्तित्ववादी दार्शनिकों से लेकर कार्ल मार्क्स के घोषणापत्र तक, सेंट ऑगस्टिन के कन्फेशन की पुस्तक से लेकर 700 श्लोक वाले हिंदू धर्मग्रंथ भगवद गीता तक, सब कुछ उपलब्ध था। उनमें नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) विजेता मिस्र के उपन्यासकार नागुइब महफूज (Naguib Mahfouz) भी शामिल थे।
अरब लेखकों का भारत के प्रति आकर्षण 14वीं शताब्दी से भी पुराना
एक अन्य प्रसिद्ध अरब ग्रंथ रिहला 14वीं शताब्दी में मोरक्को के यात्री और न्यायविद इब्न बतूता का लिखा हुआ है। इसमें उनकी भारत यात्रा का वर्णन है। जब वे 1334 में भारत पहुंचे तब उन्हें शासक मुहम्मद बिन तुगलक ने नौकरी की पेशकश की और उन्होंने दिल्ली में न्यायाधीश के रूप में भी काम किया। उन्होंने कई शहरों का दौरा किया और चीन जाने से पहले आठ साल तक भारत में रहे। भारत और उसके लोगों के साथ बतूता का अनुभव उनकी पुस्तक में दिलचस्प अंदाज में दर्ज है।
भारत से प्रभावित एक अन्य प्रसिद्ध अरब लेखक लेबनानी-अमेरिकी दार्शनिक खलील जिब्रान हैं। कई विद्वानों ने जिब्रान की पुस्तक द प्रोफेट के नायक अल मुस्तफा और भगवद गीता के कृष्ण के बीच समानताएं देखी हैं। दोनों पात्रों में लोगों के प्रति नैतिक जिम्मेदारी की गहरी भावना है। अरब लेखकों का भारत के प्रति आकर्षण 14वीं शताब्दी से भी पुराना है। 816 से 869 तक अब्बासिद दरबार में इराकी लेखक और विद्वान अल जाहिज ने भारतीयों के व्यावसायिक कौशल की जमकर प्रशंसा की है।
लेकिन मेडेलीन की लाइब्रेरी, जहां मुझे ये सारे खजाने मिले, युद्ध के समय एक मिसाइल से हमला कर दिया गया। इस जलाकर नष्ट कर दिया गया। और तब से उसने अपनी किताबों पर इस तरह शोक व्यक्त किया जैसे कि वे हाड़-मांस की हों। मैं उसका दर्द भी अपने दिल में रखती हूं। भले ही हम लेबनानी घाटे के आदी हैं, फिर भी यह मामला अलग लगा। ऐसा लगा मानो हमने अपनी आत्मा का एक हिस्सा खो दिया हो।
लेकिन आज इतने साल बीत जाने के बाद मुझे एहसास हुआ कि भले ही मैंने मेडेलीन की किताबों का आनंद थोड़े समय के लिए ही उठाया हो, लेकिन उन किताबों को पढ़ने का लाभ जीवन भर मिलता है। उस पुस्तकालय (Library) से और उन सभी अरब लेखकों से, जिनका मैंने यहां उल्लेख किया है, एक विशेष बात जो मुझे प्राप्त हुई, वह है भारत के प्रति मेरा आकर्षण, इसके प्रति मेरा प्रेम। मुझे नहीं लगता कि भारत के प्रति यह जुनून मुझे कभी छोड़ेगा क्योंकि जो मन और स्मृति में अंकित हो गया है, वह सदैव हृदय में अंकित रहेगा। इसकी छवि मिटाई नहीं जा सकती।