नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि एक-दो देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रिफार्म नहीं होने दे रहे और अपने हितों के लिए समय के साथ बदलाव नहीं चाहते ।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कोरोना के बाद की दुनिया में भारत-यूरोपीय संघ की रणनीतिक साझेदारी की स्थिति पर सीईपीएस थिंकटैंक के एक कार्यक्रम में वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से भाग लिया। उन्होंने कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों से संयुक्त राष्ट्र की कमियों और प्रासंगिकता के लिए स्वर उठ रहे हैं। इसे संयुक्त राष्ट्र को गंभीरता से लेना चाहिए।
जयशंकर ने कहा कि समय के साथ दुनिया में कई बदलाव आए हैं। संयुक्त राष्ट्र के गठन को 75 वर्ष हो चुके हैं और उसमें भी समयानुसार बदलाव आना चाहिए। इसमें होने वाली देरी संयुक्त राष्ट्र की भूमिका और कार्य को प्रभावित कर रही है।
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने भी हाल में महासभा के सत्र में सुरक्षा परिषद में बदलाव के महत्व को रेखांकित किया था। उन्होंने कहा था कि सुरक्षा परिषद में बदलाव के लिए जारी अंतर सरकारी वार्ता को अनौपचारिक रखा जा रहा है।
कार्यक्रम में विदेश मंत्री ने भारत और यूरोपीय संघ के स्वास्थ्य सेवा, डिजिटल, जलवायु कार्रवाई, आतंकवाद का मुकाबला करने और एक सुधारित बहुपक्षवाद की दिशा में एक साथ काम करने के महत्व को रेखांकित किया।