Supreme Court: बेहतर पारदर्शिता के लिए सभी निर्वाचित सांसदों और विधायकों की गतिविधियों की Digital निगरानी की मांग करने वाली जनहित याचिका पर Supreme Court ने शुक्रवार को सुनवाई करने से इनकार कर दिया।
CJI D.Y. चंद्रचूड़ (CJI D.Y. Chandrachur) की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “देश के सभी सांसदों और विधायकों की हम निगरानी नहीं कर सकते। निजता का अधिकार नाम की भी कोई चीज़ है। वे जो करते हैं उसकी निगरानी के लिए हम उनके पैरों या हाथों पर कुछ (Electronic) चिप्स नहीं लगा सकते।”
सभी विधायकों की चौबीस घंटे CCTV निगरानी के लिए दायर की गई याचिका पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों का भी अपना निजी जीवन है।
जब याचिकाकर्ता ने मामला प्रस्तुत करने के लिए 15 मिनट का समय मांगा तो शीर्ष अदालत ने उसे 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी।
कोर्ट ने कहा, “5 लाख रुपए लगेंगे और अगर हम याचिका खारिज करते हैं तो इसे भू-राजस्व के बकाया के रूप में दिया जाएगा। यह समय की बर्बादी है।”
याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत रूप से पेश होकर दलील दी कि सांसद और विधायक जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत वेतनभोगी प्रतिनिधि हैं जो कानून, योजना और नीतियां बनाने में लोगों की राय का प्रतिनिधित्व करते हैं और चुनाव के बाद शासक के रूप में व्यवहार करना शुरू कर देते हैं।
जनहित याचिका में मांगी गई राहत से नाखुश Supreme Court ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। हालांकि, इसने याचिकाकर्ता पर कोई जुर्माना नहीं लगाया।