India-China War: विशेषज्ञ जानकारों का मानना है कि आने वाले 5 सालों में भारत और चीन के बीच युद्ध की आशंका बढ़ गई है।
उनका कहना है कि हिमालय में 2025 से 2030 के बीच एक और भारत-चीन युद्ध (India-China War) छिड़ सकता है। युद्ध की वजह चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) प्रोजेक्ट को बताया है।
उनका कहना है कि चीन अपने Kashagar Energy Plant को लेकर डर में है, जिसका रास्ता पूर्वी लद्दाख से होकर गुजरता है। चीन को लगता है कि अगर किसी पड़ोसी मुल्क ने काशागार एनर्जी प्लांट पर हमला किया, तब उसकी एनर्जी व्यवस्था ठप होगी।
भारत और चीन को एक और युद्ध की तरफ धकेल सकती है
रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट (RUSI) ने वॉर क्लाउड्स ओवर द इंडियन होरिजोन की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
रिपोर्ट में International Political Risk Analytics के संस्थापक और लेखक समीर टाटा ने तर्क दिया है कि चीन भारत के हिस्से पूर्वी लद्दाख को एनर्जी सुरक्षा को खतरे के नजरिए से देखता है। उसकी यह हरकत भारत और चीन को एक और युद्ध की तरफ धकेल सकती है।
चीन को डर है…
रिपोर्ट में टाटा ने लिखा, चीन को डर है कि उसके पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में स्थित काशगार एनर्जी प्लांट पर हमला करने का एकमात्र रास्ता पूर्वी लद्दाख है। अगर कोई दुश्मन एनर्जी प्लांट काशगार पर हमला करके अपने कब्जे में ले लेता है, तब चीन की ऊर्जा व्यवस्था ठप हो जाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया कि काशगार प्लांट ईरान के महत्वपूर्ण तेल और गैस पाइपलाइन से जुड़ा हुआ है। ये पाइपलाइन चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान से होकर गुजरती है। पूर्व भारतीय सेना प्रमुख की राय युद्ध को लेकर अलग है। उन्होंने कहा कि 2020 में गलवान संघर्ष के बाद चीन को पता है कि नया भारत पीछे हटने वाला नहीं।
हालांकि, वह इस तर्क से सहमत हैं कि लद्दाख और काराकोरम पास चीन की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा हैं, क्योंकि ये हिस्से CPEC परियोजना के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने कहा कि अगर चीन को लगता है कि भारत उस स्थिति में पहुंच रहा है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर या तिब्बत में CPEC रास्ते को काट सकता है, तब यह 1962 जैसा बड़ा बदलाव हो सकता है। ऐसी स्थिति में युद्ध की आशंका बिल्कुल खारिज नहीं की जा सकती है।