Allahabad High Court: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने हाल ही में पारित एक निर्णय में सहायक शिक्षकों के 69,000 पदों पर भर्ती के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के तहत आरक्षण का लाभ देने से इनकार कर दिया है क्योंकि भर्ती प्रक्रिया इस संबंध में कानून बनने से पहले की गई थी।
राज्य ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा (EWS के लिए आरक्षण) अधिनियम, 2020 बनाया जिसे समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण का लाभ देने के लिए राजपत्र में 31 अगस्त 2020 को प्रकाशित किया गया।
इस अधिनियम की धारा-13 के अंतर्गत व्यवस्था है कि EWS अधिनियम उन चयन प्रक्रियाओं पर लागू नहीं होगा जिन्हें इस अधिनियम के लागू होने से पहले शुरू किया जा चुका है।
शिवम पांडेय और कई अन्य द्वारा दायर रिट याचिकाओं को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश (UP) में सहायक शिक्षकों के 69,000 पदों पर भर्ती के लिए चयन प्रक्रिया 16 मई 2020 से शुरू की गई थी और EWS अधिनियम 31 अगस्त 2020 से प्रभावी हुआ। इस अधिनियम की धारा 13 के मुताबिक यह अधिनियम इस मामले में लागू नहीं होगा।
दिसंबर 2018 में राज्य सरकार ने सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा कराने का एक शासकीय आदेश जारी किया था। सभी याचिकाकर्ता अनारक्षित (सामान्य) वर्ग में पात्र थे। इसके बाद, राज्य सरकार ने 69,000 पदों पर चयन प्रक्रिया शुरू की।
हालांकि, भारत के संविधान में 103वें संशोधन के उपरांत इन याचिकाकर्ताओं ने भर्ती प्रक्रिया में EWS वर्ग का 10 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग करते हुए EWS प्रमाणपत्र हासिल किए।
इन रिट याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान, चयन प्रक्रिया पूरी हो गई और इन याचिकाकर्ताओं (Petitioners) का चयन नहीं किया गया क्योंकि मेधा सूची में ये नीचे थे।