नई दिल्ली: बफैलो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के मुताबिक हाथियों में कैंसर का प्रतिरोध करने वाली जीन्स होती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसा लगता है कि हाथी ट्यूमर को दबाने वाली जीन्स की प्रतियां लेकर चलते हैं जो कैंसर प्रतिरोध में योगदान देती हैं।
अपने अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने अलग-अलग प्रजातियों के हाथियों का अध्ययन किया जिसमें एशिया, अफ्रीकी सवाना और अफ्रीकी जंगलों के हाथी शामिल थे।
शोधकर्ताओं न इन हाथियों को जीवन, विलुप्त हो चुके संबंधियों का अध्ययन यह जानने के लिए किया कि क्या ट्यूमर को दबाने वाले जीन्स की वजह से अंदर के कैंसर के जोखिम कम करने के बदले में उनके आकार में बढ़ावा देने में सहयोग किया।
वैज्ञानिकों का दावा है कि इन प्राकृतिक रूप से कैंसर का प्रतिरोध करने वाली जीन्स कैंसर का बेहतर इलाज खोजने में मददगार हो सकती हैं।
जानवरों में उम्र ज्यादा होने के साथ ही कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है जिसकी वजह से यह बीमारी बूढ़ों में ज्यादा होती है। लेकिन ऐसा हाथियों के साथ नहीं देखा गया है।
शोध में वैज्ञानिकों ने लिखा कि आज के हाथियों में यह जैनेटिक लाभ तब विकसित हुआ होगा जब वे अपना विशाल आकार विकसित कर रहे हैं।
इस अध्ययन में शामिल डॉ विंसेंट लिंच का कहना है कि बड़े शरीर में कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि शरीर में बहुत अधिक कोशिकाएं होती हैं।
लेकिन यह सभी प्रजातियों के लिए सही नहीं है। उद्भव मेडिसिन और कैंसर बायोलॉजी के लिए यह लंबे समय से अनसुलझी पहेली रही थी।
इससे पता चलता है कि उद्भव ने कैंसर के जोखिम को कम करने की रास्ता खोज लिया था।
इससे पहले वैज्ञानिक ट्यूमर से बचनेवाली जीन टीपी53 का अध्ययन किया, लेकिन इस बार लिंच ने दावा किया कि वैज्ञानिक इस बात पर ध्यान देना चाहते थे कि क्या हाथियों में इन जीन्स की ज्यादा प्रतियां होंगी।
वे यह भी पता लगाना चाहते थे कि क्या यह समान्य चलन था या फिर किसी एक खास जीन्स में ही ऐसा था।
वैज्ञानिकों ने इसे सामान्य चलन पाया और देखा कि ये हाथियों में इन जीन्स की अधिक प्रतियां हैं जो सामूहिक रूप से कैंसर प्रतिरोध में योगदान देती हैं।
मालूम हो कि हमारे चिकित्सा विशेषज्ञ बहुत सी इंसानी बीमारियों के इलाज के लिए दूसरे जानवरों पर भी शोध करते हैं।
कई बार इस तरह के शोध हमारे लिए मददगार होते हैं तो कई बार बीमारी के रहस्य को गहरा भी जाते हैं। ऐसे ही एक रहस्य ने बहुत समय से वैज्ञानिकों को उलझाए रखा था।
वे यह नहीं समझ पा रहे थे कि आखिर हाथियों में कैंसर इतना कम क्यों होता है। वैज्ञानिकों ने ना केवल इसका कारण खोजा है बल्कि उन्हें लगता है कि उन्हें इससे इलाज में भी मदद मिल सकती है।