Mumbai High Court: बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों की ओर से व्यक्ति अथवा संस्थाओं को Defaulter घोषित करने के मामले में मुंबई हाई कोर्ट (Mumbai High Court) ने अत्यंत महत्वपूर्ण सलाह दी है।
कोर्ट ने कहा है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मुख्य सर्कुलर के तहत किसी संस्था या व्यक्ति को इरादतन डिफॉल्टर घोषित करने से पहले तर्कसंगत आदेश पारित करना चाहिए। न्यायमूर्ति बीपी कोलाबावाला और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरेसन की खंडपीठ ने 4 मार्च को अपने एक आदेश में यह बात कही।
एक खबर के मुताबिक इस आदेश में कहा कि इरादतन चूककर्ताओं को वित्तीय सेक्टर तक Access से बाहर कर दिया जाता है और इसलिए सर्कुलर के तहत बैंकों को दिए गए विवेक का इस्तेमाल RBI के नियमों के मुताबिक और सावधानी के साथ किया जाना चाहिए।
खबर के मुतबिक High Court ने अपने आदेश में कहा कि जो बैंक और वित्तीय संस्थान इरादतन चूक की घटना की घोषणा करने के लिए मुख्य परिपत्र लागू करना चाहते हैं, उन्हें अपनी पहचान समिति और समीक्षा समिति द्वारा पारित तर्कसंगत आदेशों को साझा करना होगा।
पीठ IL&FS फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (IFIN) के पूर्व संयुक्त प्रबंध निदेशक मिलिंद पटेल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में फरवरी, 2023 में Union Bank of India की तरफ से पारित एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कंपनी और उसके प्रमोटर्स को RBI द्वारा जारी 2015 के मुख्य सर्कलुर के तहत इरादतन चूककर्ता घोषित किया गया था।
RBI का सर्कुलर बैंकों, वित्तीय संस्थानों को तिमाही आधार पर इरादतन चूककर्ताओं का आंकड़ा जमा करने के लिए कहता है। यह आंकड़ा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) को भी भेजा जाता है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है इसलिए इसका पालन सही तरह होना चाहिए।