Jamshedpur Food Poisoning : घटना पूर्वी सिंहभूम (East Singhbhum) जिले के डुमरिया प्रखंड स्थित केंदुआ पंचायत के केंदुआ गांव के Neemdih टोले की है। पूजा में सूखी मछली खाने के बाद लोगों की तबीयत बिगड़ने लगी। उल्टी और दस्त होने लगे। दो बच्चे तो बेहोश हो गये।
बीमार लोगों में कुल 23 लोग शामिल हैं, जिनमें 12 बच्चे शामिल हैं। समझा जाने लगा कि देवता नाराज हो गये हैं, इसलिए यह विपदा आन पड़ी है। सो, सभी झाड़-फूंक कराने में लग गये।
जब मरीजों की हालत सुधरने के बजाय और ज्यादा बिगड़ गयी, तब रविवार को सभी मरीजों को एंबुलेंस से डुमरिया सीएचसी लाया गया, जहां सबका इलाज चल रहा है। डॉक्टर ने कहा है कि फिलहाल सभी स्वस्थ हैं।
क्या है मामला?
परिजनों ने बताया कि शुक्रवार को गांव में बाहा बोंगा पर्व मनाया जा रहा था। इसमें गांव के लोग जुटे थे, जिनमें बच्चे भी शामिल थे। इस पर्व में मछली खाने की परंपरा है। ज्यादातर लोगों ने टमाटर के साथ सूखी छोटी मछली खायी थी।
आशंका है कि इसे कारण फूड Poisoningहुई। फूड Poisoning के बाद शनिवार की शाम को कुछ लोगों को उल्टी होने लगी।
CHC के चिकित्सक डॉ विनय तिवारी ने बताया कि नीमडीह के 23 लोगों को फूड प्वॉइजनिंग हो गयी है। जब हमें इसकी सूचना मिली, तो हमने तीन एंबुलेंस गांव भेजी और सभी मरीजों को सीएचसी लाया।
इन मरीजों में 12 बच्चे शामिल हैं, जिनकी उम्र एक साल से नौ साल तक है। इन सभी का इलाज चल रहा है। फिलहाल ये सभी ठीक हैं। उन्हें फिलहाल सीएचसी में ही रखा जायेगा।
डॉ विनय तिवारी ने बताया कि पूजा के दौरान इन लोगों ने कुछ खाया था, जिससे वे फूड प्वॉइजनिंग के शिकार हो गये हैं। ग्रामीणों को लग रहा था कि उनसे देवता नाराज हो गये हैं।
इसलिए वे झाड़-फूंक (Exorcism) के चक्कर में पड़ गये। शनिवार तक वे इसी चक्कर में रहे। रविवार को जब दो बच्चे बेहोश हो गये, तब उन्हें ग्रामीणों ने घटना की सूचना दी। बताया जा रहा है कि मरीजों में ज्यादातर लोग डायरिया से पीड़ित थे। वहीं, दो लोग मलेरिया से भी पीड़ित पाये गये हैं।
CHC में कम पड़ गये बेड
बताया जा रहा है कि फूड प्वॉइजनिंग के शिकार हुए मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण सीएचसी में बेड कम पड़ गये। एक-एक बेड पर तीन-तीन मरीजों का इलाज करना पड़ रहा है। सीएचसी में भर्ती जिन मरीजों का पहले से ही इलाज चल रहा था, उन मरीजों को वहां से दूसरी जगहों पर शिफ्ट करना पड़ा।
ये 23 लोग हुए हैं बीमार
श्रीराम देवगम (छह वर्ष), दुर्गी तापे (छह वर्ष), ललित देवगम (11 वर्ष), माकी तापे (चार वर्ष), पोलो देवगम (20 वर्ष), गुने तापे (11 वर्ष), सोमवारी देवगम (दो वर्ष), कान्हूराम तापे (11 वर्ष), केदार देवगम (चार वर्ष), लक्ष्मी तापे (आठ वर्ष), बोडो टेप (नौ वर्ष), ननिका टेप (आठ वर्ष), दुंबी तापे (आठ वर्ष), गुरुवार तापे (पांच वर्ष), जंगा तापे (एक वर्ष), मंजरी तापे (नौ वर्ष), विरजू तापे (30 वर्ष), नंदी तापे (26 वर्ष), जोगा पूर्ति (25 वर्ष), श्रीराम देवगम (61 वर्ष), गोपाल तापे (15 वर्ष), तुलसी बांडरा (45 वर्ष), कन्हुराम तापे (25 वर्ष)।