Supreme Court: देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) का मामला तब तक नहीं बन सकता है जब तक कि आपराधिक साजिश PMLA Act से जुड़ा न हो।
Supreme Court ने इस मामले में ED की रिव्यू पिटिशन को खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी है। Supreme Court ने इस मामले में अपने फैसले को बरकरार रखा है।
कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा था कि ED तब आपराधिक साजिश यानी IPC की धारा-120 का इस्तेमाल कर पीएमएलए (Money Laundering) का केस नहीं बना सकती है जब तक कि साजिश Money Laundering से लिंक न हो। इस मामले में 29 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी।
इसके खिलाफ ED ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस ओका और जस्टिस पंकज मित्तल ने अब ED की रिव्यू पिटिशन को खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 29 नवंबर के फैसले को रिव्यू करने के लिए ईडी की ओर से अर्जी दाखिल की गई थी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि रिव्यू के लिए कोई ग्राउंड नहीं बनता है और जजमेंट में कोई खामी नहीं है ऐसे में अर्जी खारिज की जाती है।
मौजूदा मामले में Karnataka High Court के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने बेंगलूर के स्पेशल कोर्ट में याचिकाकर्ता के खिलाफ पीएमएलए का केस खारिज करने से मना कर दिया था। तब मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में आरोपी के खिलाफ जो धाराएं लगाई गई थी वह आईपीसी की धाराएं थी और वह मनी लॉन्ड्रिंग के तहत होने वाले लगातार अपराध की श्रेणी में नहीं थे। ऐसे में ED आईपीसी की धारा-120 बी का इस्तेमाल कर PMLA का केस नहीं चला सकती है।
मौजूदा मामले में ED ने आरोपी के खिलाफ 7 मार्च 2022 को शिकायत दर्ज कराई थी। ED ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। इसे कोर्ट में खारिज कर दिया।