Kalpana Soren in Politics: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के कार्यकारी प्रमुख हेमंत सोरेन (Hemant Soren) जेल में हैं और उनकी जगह अब उनकी पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन (Kalpana Murmu Soren) चुनावी संग्राम में पार्टी का मोर्चा संभालने खुलकर सामने आ चुकी हैं।
वह राज्य की गांडेय विधानसभा सीट (Gandeya Assembly Seat) पर हो रहे उपचुनाव में JMM की प्रत्याशी होंगी।
कल्पना सोरेन की सियासत में लॉन्चिंग के लिए JMM नेतृत्व गांडेय को सेफ सीट मान रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि यहां उन्हें BJP की तरफ की कड़ी चुनौती मिलेगी।
कल्पना सोरेन के लिए यह लड़ाई कितनी चुनौतीपूर्ण है, यह पिछले चुनाव के वोटों के हिसाब-किताब और यहां के अब तक के इतिहास पर निगाह डालने से साफ हो जाता है।
इस सीट पर 1977 से लेकर अब तक का चुनावी इतिहास यह है कि यहां पांच बार JMM, दो बार कांग्रेस, दो बार BJP और एक बार जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है। यह किसी एक पार्टी का अभेद्य किला नहीं है।
JMM की चुनावी सफलता की दर सबसे ज्यादा जरूर है, लेकिन BJP ने भी हाल के वर्षों में यहां खासा दम दिखाया है और दो बार जीत का परचम भी लहराया है।
2019 के चुनाव में यहां झामुमो के प्रत्याशी डॉ. सरफराज अहमद ने 65 हजार 23 वोट प्राप्त कर जीत हासिल की थी। दूसरे स्थान पर रहे BJPके जयप्रकाश वर्मा को 56 हजार 168 वोट मिले थे। इस प्रकार वह 8,855 वोटों से पिछड़ गए थे। तीसरे स्थान पर रहे AJSU पार्टी के प्रत्याशी अर्जुन बैठा को 15,361 वोट मिले थे।
अब BJP और AJSU पार्टी एक ही अलायंस का हिस्सा हैं। अगर इन दोनों के वोट जोड़ दें तो वह झामुमो प्रत्याशी को मिले वोट से करीब छह हजार ज्यादा है।
इस बार BJP ने दिलीप कुमार वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। वह पिछली बार Babulal Marandi की पार्टी JVM के प्रत्याशी थे और उन्हें 8,952 वोट मिले थे।
अब बाबूलाल मरांडी BJP के प्रदेश अध्यक्ष हैं और JVM का BJP में विलय हो चुका है। जाहिर है, पिछले चुनाव में अलग-अलग उम्मीदवार उतारने वाली BJP, AJSU और JVM, तीनों के वोट एक साथ इकट्ठा हो जाएं तो JMM की Kalpana Soren के लिए राह आसान नहीं होगी।
हालांकि, भाजपा की ओर से प्रत्याशी घोषित किए जाने पर AJSU ने नाराजगी जाहिर की है। AJSU नेताओं का कहना है कि प्रत्याशी घोषित करने के पहले उनसे मशविरा नहीं किया गया।
पिछले चुनाव में AJSU प्रत्याशी रहे अर्जुन बैठा भी चुनाव मैदान में उतरने पर अड़े हैं, लेकिन माना जा रहा है कि अंततः भाजपा का नेतृत्व आजसू को मना लेगा।
दूसरी तरफ JMM के रणनीतिकारों को इस सीट पर मुस्लिम और आदिवासी की बड़ी आबादी के आधार पर बनने वाले मजबूत समीकरण पर भरोसा है। इस सीट से इस्तीफा देने वाले डॉ. सरफराज अहमद को JMM ने राज्यसभा भेज दिया है।
इससे यह माना जा रहा है कि JMM प्रत्याशी Kalpana Soren को मुस्लिमों का भरपूर समर्थन मिलेगा। आदिवासियों को JMM पहले से अपना परंपरागत वोटर मानता है।
कुल मिलाकर, लड़ाई न तो एकतरफा है और न ही आसान। इस सीट पर जीत-हार से तय होगा कि राजनीति के मैदान में कल्पना सोरेन का पांव कितनी मजबूती से टिक पाएंगे।