LMV Driving Licence : हल्के मोटर वाहन (LMV) के लिए ड्राइविंग लाइसेंस (Driving Licence) से जुड़े एक मामले में Supreme Court के चीफ जस्टिस DY Chandrachud की अध्यक्षता वाली बेंच में मंगलवार को सुनवाई हुई।
मुख्य बात यह थी कि इस तरह का लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति 7,500 किलोग्राम तक के वजन वाले ऐसे परिवहन वाहन को चला सकता है, जिस पर कोई सामान नहीं लदा हो।
पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष अटॉर्नी जनरल आर Venkataramani ने एक नोट प्रस्तुत किया, जिसके बाद मामले को स्थगित कर दिया गया। अब इस केस की अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी।
नियमों में संशोधन
उक्त इस नोट में यह संकेत दिया गया कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा किए गए परामर्श में मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में संशोधन के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं और आम चुनाव के बाद नवगठित संसद के समक्ष इन्हें रखा जाएगा।
पीठ ने कहा, ‘‘मंत्रालय ने अपने 15 अप्रैल, 2024 के पत्र के माध्यम से कानून में प्रस्तावित संशोधन का ब्योरा रिकॉर्ड पर रखा है।’’ पीठ में न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा, न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल रहे।
संविधान पीठ ने कहा था कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) का रुख जानना आवश्यक होगा, क्योंकि यह तर्क दिया गया था कि मुकुंद देवांगन बनाम Oriental Insurance Company Limited के मामले में शीर्ष अदालत के 2017 के फैसले को केंद्र ने स्वीकार कर लिया था और नियमों में संशोधन किया गया था।
मुकुंद देवांगन मामले में, शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने माना था कि परिवहन वाहन, जिसका कुल वजन 7,500 kg से अधिक नहीं है। इसको LMV (हल्के मोटर वाहन) की परिभाषा से बाहर नहीं रखा गया है।