Supreme Court on Patanjali: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आयुर्वेदिक कंपनी पतंजलि द्वारा लगातार भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने पर बाबा रामदेव और पतंजलि (Patanjali) आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को जारी अवमानना नोटिस पर मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
आगे की कार्यवाही में रामदेव और बालकृष्ण को अदालत में उपस्थित होने की छूट देते हुए, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि को प्रतिबंधित उत्पादों की बिक्री और उनके विज्ञापनों को वापस लेने के संबंध में तीन सप्ताह के भीतर एक हलफनामा पेश करने को कहा।
अदालत ने पतंजलि द्वारा समाचार पत्रों में प्रकाशित सार्वजनिक माफी का भी संज्ञान लिया।
इससे पहले, Supreme Court ने रामदेव और बालकृष्ण की “बिना शर्त और अयोग्य माफी” को खारिज कर दिया था और पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट को दिए गए आश्वासन के उल्लंघन पर कड़ी आपत्ति जताई थी।
पतंजलि ने पहले Supreme Court को आश्वासन दिया था कि वह अपने उत्पादों की औषधीय प्रभावकारिता का दावा करने वाला कोई भी बयान नहीं देगी या कानून का उल्लंघन करते हुए उनका विज्ञापन या ब्रांडिंग नहीं करेगी और किसी भी रूप में Media में चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के खिलाफ कोई बयान जारी नहीं करेगी।
Indian Medical Association ने Drugs and Magic Remedies (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम के उल्लंघन के लिए पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
इस बीच, उत्तराखंड सरकार ने Supreme Court को अवगत कराया कि उसके राज्य Licensing प्राधिकरण ने दवा विज्ञापन कानून के बार-बार उल्लंघन पर दिव्य फार्मेसी और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के 14 उत्पादों के विनिर्माण का लाइसेंस निलंबित कर दिया है।