Vat Savitri Festival was Celebrated: राजधानी रांची सहित राज्य के सभी हिस्सों में गुरुवार को वट सावित्री (Vat Savitri) का पर्व धूमधाम से मनाया गया।
सुहागिन महिलाएं सुबह में स्नान करने के बाद वटवृक्ष के नीचे एकत्रित हुईं और विधि विधान से पूजा कर कच्चे धागे को पेड़ में बांधते हुए अखंड सौभाग्य के लिए अपने पति के दीर्घायु होने की कामना की।
रांची के पहाड़ी मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में भी सुहागिन महिलाओं ने पूजा-अर्चना कर वट सावित्री की कथा सुनी। इस दौरान दान पुण्य देकर अखंड सौभाग्य की कामना की। महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाकर और बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की रक्षा और वैवाहिक सुख के लिए व्रत (Fast) रखती हैं और वट वृक्ष के चारों ओर धागा बांधकर 108 बार परिक्रमा करती हैं। इसका बहुत महत्व बताया जाता है।
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन वट सावित्री की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाओं द्वारा उपवास रखा जाता है, जो बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं।
शास्त्रों के अनुसार वट सावित्री व्रत को करवा चौथ जितना ही महत्वपूर्ण बताया गया है।
ऐसा माना जाता है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन ही सावित्री अपने मृत पति सत्यवान के प्राण को यमराज से वापस ले आई थीं। तब से विवाहित महिलाएं हर साल ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत (Savitri Fast) रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।