Types of Ministers: नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने लगातार तीसरी बार PM पद और गोपनीयता की शपथ ली। उनके साथ 30 कैबिनेट मंत्री, 5 स्वतंत्र प्रभार और 36 राज्य मंत्रियों ने भी शपथ ली।
ऐसे में आपके मन में सवाल होगा कि आखिर मंत्री कितने प्रकार के होते हैं और इन सबों में अंतर क्या होता है। चलिए आपको विस्तार से सब कुछ बताते हैं।
मंत्री कितने प्रकार के होते हैं ?
संविधान के अनुच्छेद 75 के तहत, प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति मंत्रिमंडल का गठन करते हैं। मंत्रिमंडल में तीन तरह के मंत्री होते हैं, जिनमें कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (Free Charge) और राज्य मंत्री होता है।
मंत्रिमंडल में सबसे ताकतवर कैबिनेट मंत्री होता है। उसके बाद राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और फिर राज्य मंत्री होता है। जिन्हें भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जाता है, उन्हें बाकी सांसदों की तुलना में हर महीने अलग से भत्ता भी मिलता है।
कैबिनेट मंत्री-
कैबिनेट मंत्री सबसे अनुभवी और पावरफुल होते हैं। वे डायरेक्ट प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं। उन्हें एक या इससे अधिक मंत्रालय दिए जा सकते हैं और सभी मंत्रालय बड़े होते हैं।
सरकार के हर फैसले में वे शामिल होते हैं। नया कानून, कानून संशोधन या कोई अध्यादेश लाना हो ये सब फैसले कैबिनेट की बैठक में ही तय किए जाते हैं। बैठक में सभी मंत्रियों को शामिल होना होता है।
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)-
कैबिनेट की तुलना में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के पास छोटे मंत्रालय होते हैं। और उन्हें जो मंत्रालय आवंटित किया जाता है उसकी पूरी जवाबदेही होती है।
बता दें कि ये Cabinet Minister के प्रति उत्तरदायी नहीं होते हैं और डायरेक्ट प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं। वैसे तो ये कैबिनेट की बैठक में हिस्सा नहीं लेते लेकिन कैबिनेट चाहे तो संबंधित विभागों पर चर्चा के लिए बुला सकता है।
राज्यमंत्री-
राज्यमंत्री- राज्यमंत्री, Cabinet Minister के अंडर काम करते हैं और उन्हें ही रिपोर्ट करते हैं। एक कैबिनेट मंत्री के अंडर एक या उससे ज्यादा राज्य मंत्री होते हैं।
अगर किसी कारणवश Cabinet मंत्री अनुपस्थित हैं तो राज्यमंत्री ही मंत्रालय का काम देखते हैं। अगर Cabinet मिनिस्टर हैं तो उनके नेतृत्व में काम करते हैं। एक तरह से देखें तो राज्यमंत्री, कैबिनेट मिनिस्टर के सहयोग के लिए बनाए जाते हैं।
मंत्री पद मिलते ही बढ़ जाती है सुविधाएं
वैसे तो लोकसभा के हर सदस्य की सैलरी और भत्ते तय हैं। लेकिन जो सांसद प्रधानमंत्री, Cabinet मंत्री या राज्य मंत्री बनते हैं, उन्हें हर महीने बाकी सांसदों की तुलना में एक अलग से भत्ता भी मिलता है।
सांसदों को मिलने वाली सैलरी और भत्ते सैलरी एक्ट के तहत तय होती है। इसके मुताबिक, लोकसभा के हर सदस्य को हर महीने 1 लाख रुपये की बेसिक सैलरी मिलती है। इसके साथ ही 70 हजार रुपये निर्वाचन भत्ता और 60 हजार रुपये ऑफिस खर्च के लिए अलग से मिलते हैं। इसके अलावा जब संसद का सत्र चलता है तो दो हजार रुपये का डेली अलाउंस भी मिलता है।
प्रधानमंत्री और मंत्रियों को हर महीने सत्कार भत्ता (Sumptuary allowance) भी मिलता है। प्रधानमंत्री को 3 हजार रुपये, कैबिनेट मंत्री को 2 हजार, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को 1 हजार और राज्य मंत्री को 600 रुपये का सत्कार भत्ता हर महीने मिलता है।
ये भत्ता असल में Hospitality के लिए रहता है और मंत्रियों से मिलने आने वाले लोगों की आवभगत पर खर्चा होता है। इसे ऐसे समझिए कि एक लोकसभा सांसद को सैलरी और भत्ते मिलाकर हर महीने कुल 2.30 लाख रुपये मिलते हैं। जबकि, प्रधानमंत्री को 2.33 लाख, कैबिनेट मंत्री को 2.32 लाख, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को 2.31 लाख और राज्य मंत्री को 2,30,600 रुपये मिलते हैं।