नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कश्मीर में 70 सालों तक शासन करने वाली पार्टियों को घेरा तो एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी पर भी निशाना साधा।
चर्चा के बाद विधेयक को पारित कर दिया गया। इसके प्रावधानों के अनुसार मौजूदा जम्मू कश्मीर कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारी अब अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर का हिस्सा होंगे।
4जी इंटरनेट सुविधाएं दबाव में बहाल करने के विपक्षी सदस्यों के आरोप पर जवाब देते हुए शाह ने कहा, ”असदुद्दीन ओवैसी जी ने कहा कि 2जी से 4जी इंटरनेट सेवा को विदेशियों के दबाव में लागू किया गया है।
उन्हें पता नहीं है कि यह यूपीए सरकार नहीं, जिसका वह समर्थन करते थे। यह नरेंद्र मोदी की सरकार है, जो देश के लिए फैसले करती है। गृह मंत्री ने कहा, मैं इस सदन को फिर से एक बार कहना चाहता हूं कि कृपया जम्मू कश्मीर की स्थिति को समझें।
राजनीति करने के लिए कोई ऐसा बयान न दें, जिससे जनता गुमराह हो। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख को राजनीति का हिस्सा हम न बनाएं। बहुत सारी चीजें हैं राजनीति करने के लिए। मगर ये देश का संवेदनशील हिस्सा है, उनको कई घाव लगे हैं और उनको मरहम लगाना हमारा काम है।
उन्होंने कहा, ”यहां कहा गया कि अनुच्छेद 370 हटाने के वक्त जो वादे किए गए थे, उनका क्या हुआ? मैं उसका जवाब जरूर दूंगा लेकिन पूछना चाहता हूं कि अभी तो अनुच्छेद 370 को हटे हुए केवल 17 महीने हुए हैं, आपने 70 साल क्या किया उसका हिसाब लेकर आये हो क्या?” शाह ने कहा कि तीन परिवार के लोग ही वहां शासन करें, इसलिये अनुच्छेद 370 पर जोर दिया गया।
उन्होंने सवाल किया कि जिन्हें पीढ़ियों तक देश में शासन करने का मौका मिला, वे अपने गिरेबां में झांककर देखें, क्या आप हमसे 17 महीने का हिसाब मांगने के लायक हैं या नहीं।
गृहमंत्री ने कहा कि ओवैसी अफसरों का भी हिंदू-मुस्लिम में विभाजन करते हैं। क्या एक मुस्लिम अफसर हिंदू जनता की सेवा नहीं कर सकता या हिंदू अफसर मुस्लिम जनता की सेवा नहीं कर सकता? उन्होंने कहा कि अफसरों को हिन्दू-मुस्लिम में बांटते हैं और खुद को सेक्युलर कहते हैं।
गौरतलब है कि एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने जम्मू कश्मीर में आबादी के हिसाब से मुस्लिम अफसरों की संख्या कम होने का आरोप लगाया था।
जम्मू कश्मीर में लोगों की जमीन छिन जाने के आरोपों को गलत बताते हुए शाह ने कहा कि हमने जम्मू कश्मीर में भूमि बैंक बनाया है। इससे प्रदेश के किसी व्यक्ति की जमीन नहीं जाएगी।
उन्होंने कहा, ”अतीत में विपक्षियों ने तो सरकारी जमीन अपने चट्टे-बट्टों में बांट दी थी। जबकि हमने उसका भूमि बैंक बनाया है, इसमें उद्योग लगेंगे और राज्य आत्मनिर्भरता के पथ पर बढ़ेगा।
सर्वदलीय शिष्टमंडल को जम्मू कश्मीर भेजे जाने की मांग को लेकर कुछ विपक्षी दलों की टिप्पणियों पर शाह ने कहा कि सर्वदलीय शिष्टमंडल जब चाहे तब जाए। उन्होंने कहा कि पूर्व में वे (विपक्षी दल) तब जाना चाहते थे जब अनुच्छेद 370 हटाया गया था और तब वे ‘मरहम लगाने नहीं बल्कि घाव कुरेदने जाना चाहते थे।
कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमने गुहार लगाई थी कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को जम्मू-कश्मीर भेजा जाए, लेकिन सरकार को ऐसा करने की हिम्मत नहीं हुई।
लेकिन यूरोप से प्रतिनिधिमंडल बुला लिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर घाटी में कितने लोगों को यूएपीए और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया गया, सरकार को बताना चाहिए।