Emergency was imposed in the country in the years 1962 and 1971 also.: सामान्य रूप से माना जाता है कि देश में 1975 में 25 जून को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी (Former PM Indira Gandhi) की अगुवाई वाली सरकार ने देश में आपातकाल लगा दिया था। इस दौरान लोगों के मौलिक अधिकार तक छीन लिए गए थे।
यह पहली बार नहीं था जब देश में आपातकाल लगाया गया हो लेकिन जिस वजह से और जिन परिस्थितियों में इसे लगाया गया, उससे पूरे देश में हाहाकार मच गया था।
1975 के पहले भी देश में दो बार आपातकाल (Emergency) लगा था, लेकिन दोनों ही बार इसके पीछे ठोस वजह थी।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल लगाने का अधिकार है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले मंत्रिमंडल की लिखित सिफारिश पर आपातकाल की घोषणा की जाती है। आपातकाल में नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित हो जाते हैं।
जब सम्पूर्ण देश या किसी राज्य पर अकाल, बाहरी देशों के आक्रमण या आंतरिक प्रशासनिक अव्यवस्था या अस्थितरता की स्थिति पैदा हो जाए, उस समय उस क्षेत्र की सभी राजनैतिक और प्रशासनिक शक्तियां राष्ट्रपति के हाथों में आ जाती हैं। भारत में अब तक कुल तीन बार आपातकाल लग चुका है. इसमें 1962, 1971 और 1975 में अनुच्छेद 352 के अंतर्गत राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया था।
पहली बार देश में आपातकाल 26 अक्टूबर 1962 से 10 जनवरी 1968 के बीच लगा था। जब भारत और चीन के बीच युद्ध चल रहा था। उस समय आपातकाल की घोषणा इसलिए की थी क्योंकि तब भारत की सुरक्षा को बाहरी आक्रमण से खतरा था। इस वक्त देश के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) थे।
दूसरी बार 3 से 17 दिसंबर 1971 के बीच आपातकाल लगा था जब भारत-पाकिस्तान युद्ध चल रहा था। इस वक्त भी देश की सुरक्षा को खतरा देखते हुए आपात काल लगाया गया था। उस समय वीवी गिरी राष्ट्रपति थे।
तीसरी बार आपातकाल इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए 25 जून 1975 को लगाया गया था तब आपातकाल लगाने के पीछे कारण देश में आंतरिक अस्थितरता को बताया गया।
Indira cabinet ने तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से आपातकाल की घोषणा करने की सिफारिश की थी। यह आपातकाल 21 मार्च 1977 तक लागू रहा। तीसरे आपातकाल को राजनीतिक दल अलोकतांत्रिक फैसला बताते हुए इंदिरा सरकार और कांग्रेस को निशाने पर लेटे रहते हैं।