Female Employees are also Entitled to Maternity Leave: सरोगेसी से मां बननेवाली महिला कर्मचारी भी Maternity Leave की पूरी हकदार है। यह न केवल महिला के लिए आवश्यक है, बल्कि नवजात शिशु के स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर होगा।
एक मामले में फैसला सुनाते हुए ओडिशा हाई कोर्ट (Odisha High Court) ने ये बातें कहीं।
Odisha High Court में जस्टिस संजीब कुमार पाणिग्रही की सिंगल बेंच ने एक महिला कर्मचारी के केस में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार एडॉप्टिव मां को मैटरनिटी लीव दे सकती है, तब सरोगेसी से मां बननेवाली कर्मचारी को इससे वंचित रखना गलत होगा।
क्या है मामला?
इस केस की याचिकाकर्ता (Petitioner) गोपाबंधु एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में ज्वॉइंट डायरेक्टर (Accounts) के पद पर कार्यरत है। याचिकाकर्ता 20 अक्टूबर 2018 को सरोगेसी से मां बनी थी। महिला ने 25 अक्टूबर 2018 से 22 अप्रैल 2019 तक के लिए मैटरनिटी लीव के लिए आवेदन दिया था।
साथ ही महिला ने 23 अप्रैल 2019 से नौ सितंबर 2019 के लिए EL (Earned Leave) भी अप्लाई किया था। महिला ने 10 सितंबर 2019 को वापस ज्वॉइन कर लिया था। महिला की छुट्टी का आवेदन स्वीकृति के लिए वित्त विभाग भेजा गया था।
वित्त विभाग के Under Secretary ने महिला का आवेदन लौटा दिया था। अधिकारियों से निवेदन किया था कि वह गवर्नमेंट सर्वेंट्स रूल्स के तहत इस तरह की छुट्टियां अप्लाई की जा सकती हैं या नहीं। ऐसा भी संकेत दिया गया था कि रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी या सरोगेसी के जरिये मां बनने पर छुट्टी का कोई प्रावधान नहीं है।
तब हाई कोर्ट पहुंची महिला
इसके बाद महिला हाई कोर्ट पहुंची। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि Odisha Service Code के रूल 194 के तहत महिला कर्मचारी 180 दिनों की मैटरनिटी लीव की हकदार है।
इतना ही नहीं, अगर महिला कर्मचारी किसी एक साल तक के बच्चे को गोद लेती है, तब उस स्थिति में छुट्टी को एक साल के लिए बढ़ाया जा सकता है।
इस पूरे मामले में महत्वपूर्ण बात यह थी कि इसमें सरोगेसी से मां बननेवाली मां के लिए Maternity Leave को लेकर कोई प्रावधान नहीं किया गया था।