Vice President Dhankhar rejected Chidambaram’s Thiruvananthapuram: उपराष्ट्रपति (Vice President) जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कांग्रेस (Congress) नेता P Chidambaram पर उनकी टिप्पणी कि तीन
नए आपराधिक कानून ”अकुशल लोगों ने तैयार किए”, को लेकर निशाना साधते हुए इसे ”अक्षम्य” करार दिया और इस ” आपत्तिजनक और मानहानिकारक” कथन को वापस लेने का अनुरोध किया।
धनखड़ ने कहा कि वह सुबह एक राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र में चिदंबरम का साक्षात्कार पढ़कर दंग रह गए, जिसमें उन्होंने कहा है कि “नए कानून अकुशल लोगों ने तैयार किए हैं।”
Vice President ने यहां भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST) के 12वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “क्या संसद में हम अकुशल लोग हैं?
यह संसद की सूझ-बूझ का अपमान है, जिसके लिए कोई माफी नहीं है…मेरे पास ऐसी सोच और एक सांसद को अकुशल कहे जाने की निंदा करने के लिए शब्द नहीं हैं।”
उन्होंने कहा, “मैं इस मंच से उनसे (चिदंबरम) अपील करता हूं कि कृपया संसद सदस्यों (सांसदों) के बारे में इस आपत्तिजनक, मानहानिकारक और निंदनीय टिप्पणी को वापस लें। मुझे आशा है कि वह ऐसा करेंगे।”
धनखड़ ने आगे कहा कि ”जब जानकार लोग जानबूझकर आपको गुमराह करते हैं, तो हमें सतर्क रहने की जरूरत है।”
Vice President ने कहा, ”आज सुबह जब मैंने अखबार पढ़ा तो एक जानकार व्यक्ति, जो इस देश का वित्त मंत्री रह चुका है, लंबे समय तक सांसद रहा है और वर्तमान में राज्य सभा का सदस्य है, ने मुझे स्तब्ध कर दिया।”
धनखड़ ने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि संसद ने ” हमें औपनिवेशिक विरासत से मुक्त करके” तथा ”युगान्तरकारी आयाम” वाले तीन कानून पारित करके ”एक महान कार्य” किया है।
Rajya sabha के सभापति धनखड़ ने कहा कि जब सदन में तीन कानूनों – भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम- पर चर्चा हो रही थी, तो प्रत्येक सांसद को योगदान देने का अवसर मिला।
उन्होंने कहा कि भारी मन से मैं आपसे यह साझा कर रहा हूं कि इन माननीय ने जोकि संसद के एक सम्मानित सदस्य हैं और वित्त मंत्री रहे हैं, ने अपनी वाक् शक्ति का उपयोग नहीं किया और जब चर्चा हो रही थी तब वह इससे दूर रहे।
धनखड़ ने कहा कि चिदंबरम को कर्तव्य पालन में विफलता, चूक/कमी, कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के लिए खुद को जवाबदेह ठहराना चाहिए।
Vice President ने आगे दावा किया कि न केवल चिदंबरम, बल्कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं सहित कानूनी बिरादरी के अन्य प्रतिष्ठित सहयोगी भी ‘राष्ट्र की मदद के लिए आगे नहीं आए’।