नई दिल्ली: जानलेवा महामारी कोरोना वायरस का एक रूप दूसरे को सत्ता सौंपने जा रहा है। कोविड-19 के नए रूप से एक्सपर्ट्स भी हैरान है।
यूके के जेनेटिक सर्विलांस प्रोग्राम की हेड शैरान पीकॉक ने बताया है कि वायरस का केंट वैरियंट ‘पूरी दुनिया में छा जाएगा, इसकी पूरी संभावना है।’
दूसरी तरफ, दक्षिण अफ्रीका में वायरस का एक और रूप वैक्सीनों और नैचरल इम्युनिटी को मात देते हुए कहर बरपा रहा है।
कोविड वायरस के तीसरे रूप ने ब्राजील में फिर से केसे बढ़ाने शुरू कर दिए हैं जबकि माना जा रहा था कि ब्राजील पिछले साल गर्मियों में ही हर्ड इम्युनिटी हासिल कर चुका था।
2019 में पहली बार सामने आया कोविड-19 वायरस कई रूप बदल चुका है।
फिलहाल डी614जी वैरियंट दुनियाभर में कहर बरपा रहा है। केंट वैरियंट (बी1.1.7 सुप्ररस्प्रेडर) को पिछले साल सितंबर में इंग्लैंड के केंट में डिटेक्ट किया गया था।
इसमें 17 म्यूटेशंस हुए और इस वजह से इसे शुरू से ही बड़ा खतरा माना जा रहा था। नवंबर 2020 के बाद से यह जंगल में आग की तरह फैलना शुरू हुआ और अब यह दुनिया में सबसे कॉमन वैरियंट बनने की ओर है।
यह वैरियंट सुपर स्प्रेडर है और जो म्यूटेशन इसके लिए जिम्मेदार है, वह दो और वैरियंट्स में मिला है।
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि म्यूटेशन की वजह से यह पिछले डी614जी वैरियंट से 50फीसदी ज्यादा संक्रामक हो गया है। केंट वैरियंट को अबतक दुनिया के कम से कम 50 देशों में पाया जा चुका है।
यह मरीजों में मौत की संभावना को 30 प्रतिशत बढ़ा देता है। मतलब अगर पिछले वायरस ने 50 से ज्यादा उम्र के 1,000 मरीजों में से 10 की जान ली थी, तो ये वाला 13 को मार सकता है।
अबतक इसके खिलाफ वैक्सीन कारगर रह थी मगर इस महीने इसका एक और म्यूटेशन ई484के मिला है। ये वही म्यूटेशन है जो साउथ अफ्रीका वाले वैरियंट में इम्युनिटी को भी धता बता देता है।
साउथ अफ्रीका वाला बी1.351 वैरियंट पिछले साल अक्टूबर में सामने आया। इसके स्पाइक प्रोटीन में ही 10 से ज्यादा म्यूटेशंस हुए हैं।
आज की तारीख में दक्षिण अफ्रीका में होने वाले 80फीसदी इन्फेक्शंस इसी की देन हैं और यह कम से कम 32 देशों में फैल चुके हैं।
यह केंट वैरियंट जितना ही संक्रामक है मगर इसमें एक ई484के म्यूटेशन भी है तो इसे बेहद खतरनाक बनाता है।
इस म्यूटेशन की वजह से ये वायरस पिछले इन्फेक्शन से हुई इम्युनिटी को बेकार कर देता है और वैक्सीन के असर को भी कम कर देता है।
ब्राजील में दो वैरियंट जिन्हें पी1 और पी2 कहा जा रहा है, जांच के दायरे में हैं। इनमें से पी1 जो कि बी.1.1.248 भी है, टेंशन दे रहा है।
इसे पिछले साल दिसंबर में डिटेक्ट किया गया था और इसमें 3 म्यूटेशंस हुए हैं जिसमें ई484के भी शामिल है। अभी तक किसी भी वैक्सीन को पूरी तरह बेअसर नहीं पाया गया है।
असर भले ही कम हो, लेकिन वैक्सीन की वजह से गंभीर बीमारियों और मौतों को रोकने में मदद मिलती है।
वर्तमान टीके कुछ समय के लिए प्रभावी रहेंगे क्योंकि वह वायरस के एक से ज्यादा हिस्सों को टारगेट करने के लिए बने हैं। वैक्सीनों को म्यूटेशंस को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।