Now Government Employees Can freely participate in RSS Activities: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर लगा प्रतिबंध अब हटा लिया गया है।
गृह मंत्रालय (Home Ministry) की तरफ से इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इसका स्वागत किया है। कांग्रेस नेताओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर आधिकारिक आदेश की कॉपी शेयर की है।
वहीं भारतीय जनता पार्टी के IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी आदेश का Screenshot साझा करते हुए कहा कि 58 साल पहले जारी एक ‘असंवैधानिक’ निर्देश को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने वापस ले लिया है। इससे पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय की तरफ से 9 जुलाई को जारी एक ऑफिस मेमो शेयर किया, जो RSS की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी से जुड़ा है।
ऑर्डर की तस्वीर के साथ Post में रमेश ने कहा, ‘फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया।
इसके बाद भी आरएसएस ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया।’इसके साथ ही उन्होंने पोस्ट में कहा, ‘1966 में RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था और यह सही निर्णय भी था। यह 1966 में प्रतिबंध लगाने के लिए जारी किया गया आधिकारिक आदेश है।’
अमित मालवीय ने Order की कॉपी शेयर करते हुए लिखा, ‘मोदी सरकार ने 58 साल पहले यानी 1966 में सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में भाग लेने पर लगाया गया असंवैधानिक प्रतिबंध हटा दिया है।
यह आदेश शुरू में ही पारित नहीं होना चाहिए था।’ इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि ‘यह प्रतिबंध इसलिए लगाया गया था, क्योंकि 7 नवंबर 1966 को संसद में गौ हत्या के खिलाफ एक बहुत बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था। लाखों की संख्या में आरएसएस-जनसंघ ने इसका समर्थन जुटाया था। पुलिस फायरिंग में कई लोग मारे गए थे।’
30 नवंबर 1966 को आरएसएस-जनसंघ के प्रभाव से डरी हुई इंदिरा गांधी ने सरकारी कर्मचारियों के RSS में शामिल होने पर रोक लगा दी थी।’बता दें कि केंद्र सरकार ने 1966, 1970 और 1980 में तत्कालीन सरकारों द्वारा जारी उन आदेशों में संशोधन किया गया है, जिनमें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की शाखाओं और उसकी अन्य गतिविधियों में शामिल होने पर रोक लगाया गया था।
आरोप है कि पूर्व की कांग्रेस सरकारों ने सरकारी कर्मचारियों के संघ के कार्यक्रमों में शामिल होने पर रोक लगा दी थी। RSS की गतिविधियों में शामिल होने पर कर्मचारियों को कड़ी सजा देने तक का प्रावधान लागू किया गया था। रिटायर होने के बाद पेंशन लाभ आदि को ध्यान में रखते हुए सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने से बचते थे।