Supreme Court notice to ED on Abbas Ansari’s bail plea: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की जमानत याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई। कोर्ट ने अब्बास की जमानत याचिका पर ED को Notice भी जारी किया है।
जस्टिस MM सुंदरेश और संदीप मेहता की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को नोटिस जारी करते हुए उत्तर प्रदेश के मऊ से विधायक अब्बास अंसारी की विशेष अनुमति याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है।
इससे पहले, Allahabad High Court ने 9 मई के अपने आदेश में अब्बास की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। हालांकि, उसने निचली अदालत को निर्देश दिया था कि वह जल्द से जल्द सुनवाई पूरी करे।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस जसप्रीत सिंह की पीठ ने कहा था, “यह अदालत PMLA की धारा 45 के संदर्भ में पहली नजर में यह संतुष्टि देने में असमर्थ है कि आवेदक दोषी नहीं है या फिर वह जमानत पर रहते समय कोई अपराध नहीं कर सकता।”
कोर्ट ने अब्बास अंसारी के खिलाफ मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा पेश किए गए मनी ट्रेल का भी संज्ञान लिया। बयान में कहा गया है कि मनी ट्रेल अंसारी को दो कंपनियों- मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन और मेसर्स आगाज से धन के लेनदेन से जोड़ता है। ED का आरोप है कि अंसारी ने इन कंपनियों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया था।
ED ने धन शोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA ) के तहत तीन अलग-अलग FIR के आधार पर जांच शुरू की है। पहले आपराधिक मामले में, यह आरोप लगाया गया था कि एक निर्माण कंपनी के भागीदारों ने रिकॉर्ड में हेराफेरी कर सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण किया था।
वहीं, दूसरी FIR में आरोप लगाया गया है कि मुख्तार अंसारी ने एक स्कूल बनाने के लिए विधायक कोष से धन लिया था। लेकिन, कोई स्कूल नहीं बनाया गया और जमीन का इस्तेमाल कृषि के लिए किया गया। तीसरी FIR में आरोप लगाया गया है कि अंसारी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर सरकारी जमीन हड़प ली और एक अवैध मकान बना लिया।