Bombay High Court Reprimands Police on Badlapur Sexual Harassment Case: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने गुरुवार को महाराष्ट्र पुलिस से सवाल किया है कि बदलापुर के स्कूल में दो नाबालिग छात्राओं के साथ यौन शोषण (Sexual Exploitation) मामले में दूसरी पीड़िता का बयान क्यों दर्ज नहीं किया?
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज के चव्हाण की खंडपीठ ने पुलिस से दोनों छात्राओं को सुरक्षा देने के लिए उठाए कदमों के बारे में जानकारी देने को कहा और यह भी कहा कि वह उपायों की जांच करेगी। खंडपीठ ने कहा कि हम इस तथ्य से स्तब्ध हैं कि बदलापुर Police ने दूसरी पीड़ित लड़की का बयान दर्ज नहीं किया।
पीठ ने कहा कि यह बड़े मुद्दों पर स्वत: संज्ञान से ली गई जनहित याचिका है, इसलिए लड़कियों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। जब तक कोई मजबूत सार्वजनिक आक्रोश न हो, मशीनरी काम नहीं करती है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बदलापुर स्कूल के अधिकारियों को भी फटकार लगाते हुए कहा कि उन्होंने यौन शोषण की जानकारी Police को क्यों नहीं दी, जबकि उन्हें पता था कि ऐसा हो रहा है। हाईकोर्ट ने यह भी उम्मीद जताई कि न्याय सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
न्यायमूर्ति मोहिते-डेरे ने महाराष्ट्र पुलिस से जांच की कि मामले में बयानों में देरी क्यों हुई।
उन्होंने कहा कि Police ने इतनी देर से बयान दर्ज किया। घटना 13 अगस्त की है और FIR 16 तारीख की। बयान अब दर्ज किया गया? माता-पिता के बयान पहले क्यों दर्ज नहीं किए गए? पुलिस अधिकारी का कर्तव्य प्रक्रियाओं के मुताबिक बयान दर्ज करना है। हम यह तय करने में रुचि रखते हैं कि पीड़ितों को न्याय मिले।