Sanjay Raut said: छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने की घटना पर सियासत जारी है। शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने कहा कि हर चीज के पीछे देवेंद्र फडणवीस सूत्रधार हैं। वो खलनायक हैं, महाराष्ट्र में यही समस्या है।
उन्होंने कहा कि ये बात पूरा देश और PM मोदी जानते हैं, यही वजह है कि उन्हें माफी मांगनी पड़ी है। लेकिन, सवाल ये है कि क्या सिर्फ माफी मांग लेने से मामला सुलझ जाएगा ? महाराष्ट्र के लोगों की जो भावना है, उसे व्यक्त करने देना चाहिए। छत्रपति शिवाजी महाराज की इतनी बड़ी मूर्ति टूट गई, क्या हम चुप बैठेंगे ?
उन्होंने कहा कि हम आंदोलन करना चाहते हैं। लोकतंत्र की यही खूबी है कि हम शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर सकते हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज के सम्मान में हम हमारी भावना व्यक्त करने के लिए वहां इकट्ठा हो रहे हैं, लेकिन हमें रोका जा रहा है। शरद पवार, उद्धव ठाकरे, नाना पटोले, कांग्रेस, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सभी कार्यकर्ता वहां जमा होंगे। छत्रपति शिवाजी महाराज के सम्मान में हमारा आंदोलन कोई एक सरकार के खिलाफ नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस राज्य में पहली बार यह हो रहा है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के सम्मान में कोई आंदोलन चल रहा है और उनके खिलाफ BJP आंदोलन कर रही है। भाजपा महाराष्ट्र को पूरी तरीके से खत्म कर देगी। केवल सात महीने में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढह गई, तो क्या हम चुप रहें? हम आज शिवाजी महाराज के सम्मान में प्रदर्शन करने जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 26 अगस्त को सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची मूर्ति गिर गई थी। यह प्रतिमा भारतीय नौसेना ने बनाई थी।
इस घटना से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी। विपक्षी दलों ने इसकी काफी आलोचना की और विरोध-प्रदर्शन भी किए।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि वो शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने पर 100 बार माफी मांग सकते हैं। छत्रपति शिवाजी महाराष्ट्र के संरक्षक देवता हैं। मैं 100 बार उनके पैर छूने और दुर्घटना के लिए माफी मांगने को तैयार हूं। हमारी सरकार शिवाजी के आदर्शों को ध्यान में रखते हुए काम करती है। महाराष्ट्र सरकार ने शिवाजी महाराज की प्रतिमा के ढहने के कारणों का पता लगाने के लिए इंजीनियर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के विशेषज्ञों और नौसेना अधिकारियों की एक संयुक्त तकनीकी समिति गठित की है।