Heart Problems have increased Among Youth Aged 18 to 30 years in India : एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हर साल Cardiovascular Disease के मरीजों की संख्या बढ़ रही है और मौतों के आंकड़ों में भी तेज इजाफा हुआ है।
डराने वाली बात ये है कि हाल के कुछ सालों में भारत में 18 से 30 साल के युवाओं को हार्ट डिसीस ने घेरा है, जिसकी वजह से उन्हें अपनी जान भी गंवानी पड़ी है.दिल की बीमारियों के अधिकांश मामले खराब जीवनैशली से जुड़े होते हैं।
धूम्रपान, शराब और नियमित रूप से व्यायाम नहीं करने से इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। American Heart Association के मुताबिक, 80 फीसदी दिल की बीमारियों से बचा जा सकता है।इसके लिए आपको बस उन संकेतों को जानना होगा जो आपके दिल को परेशानी में डाल सकते हैं।
इसके बाद आप अपने बाकी शरीर की तरह ही अपने दिल की भी देखभाल कर पाएंगे.फ्लोरिडा स्थित डेलरे मेडिकल सेंटर में Cardiothoracic Surgery के मेडिकल डायरेक्टर डॉ।जेफरी न्यूमैन के मुताबिक, आमतौर पर आपके दिल की सेहत को इजेक्शन फ्रैक्शन के जरिए मापा जाता है।एक सामान्य Ejection Fraction 55 या 60 फीसदी होता है, जिसका मतलब ये है कि दिल में जितना ब्लड फ्लो हो रहा है उसका साठ फीसदी आसानी से बाहर पंप हो रहा है।
इसे एक सामान्य तौर पर काम करने वाला स्वस्थ दिल माना जाएगा.वहीं, अगर आपका दिल कमजोर होने लगता है।आपको दिल का दौरा पड़ता है या आपको कोई वॉलवुलर डिसीज होती है तो आपके दिल का Ejection Fraction कम हो जाता है।
उदाहरण के लिए अगर किसी मरीज का 30 प्रतिशत इजेक्शन फ्रैक्शन हो रहा है तो इसका मतलब है कि मरीज का दिल ठीक तरह से रक्त प्रवाह नहीं कर पा रहा।ये परेशानी आगे चलकर हार्ट फेल होने की वजह बनती है।किसी भी व्यक्ति के दिल का इजेक्शन फ्रैक्शन जितना कम होगा, उसे उतना ही Heart Failure और कार्डियर अरेस्ट का खतरा होगा.डॉ।न्यूमैन बताते हैं, सामान्य तौर पर लोग अपने स्वास्थ्य की फिक्र करते हैं लेकिन अपने दिल की सेहत को लेकर इतने जागरुक नहीं होते।
वो उसे नजरअंदाज करके चलते हैं।खराब खान-पान, मोटापा, व्यायाम की कमी, आलस या शारीरिक तौर पर मेहनत ना करने की आदतें दिल पर बुरा असर डालती हैं।दिल की सेहत काफी हद तक हमारी जीवनशैली से जुड़ी है।
जीवनशैली को सुधारकर इससे बचा जा सकता है। हमारे पास ऐसे कई मरीज आते हैं जिनकी Diabetes बढ़ी होती है या Blood Sugar Control के बाहर होता है।