If Wife Earns equal to Husband then she has no right to Alimony: पारिवारिक विवाद में पत्नी, पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार होती है। लेकिन पत्नी अगर सक्षम है, और पति के बराबर उसकी आय है, तब गुजारा भत्ता (Alimony) पाने का कोई हक नहीं है।
यह बात जयपुर की फैमिली कोर्ट में जज ने कही है। जज पवन कुमार ने तलाक से जुड़े मामले में पत्नी के गुजारा भत्ते के आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया कि पत्नी की पति के बराबर ही आय थी।
Jaipur की रहने वाली पत्नी ने कोर्ट में आवदेन लगाकर कहा था कि उसके पति ने बिना किसी ठोस आधार के तलाक के लिए आवेदन कर रखा है। पत्नी ने कहा कि उसका पति पेशे से डॉक्टर है। उसकी 1.25 लाख रुपए सैलरी है।
निजी प्रैक्टिस से 40 हजार रुपए और किराए से 15 हजार रुपए कमाते हैं। इसके अलावा 70 से 80 हजार रुपए अन्य साधनों से आय है। इस तरह से पति की मासिक आय 2.50 लाख रुपए है। वह उसकी कानूनी पत्नी है, इसलिए निर्वाह भत्ते (गुजारा भत्ता) के 75 हजार रुपए हर माह, Advocate Fees और मुकदमा खर्च के 50 हजार रुपए एक साथ और हर पेशी उपस्थित रहने के 3 हजार रुपए खर्च दिलाया जाए।
वहीं आवेदन का विरोध करते हुए पति ने कहा कि उसकी पत्नी एसबीआई में मैनेजर हैं। पत्नी ने वास्तविक तथ्यों को छुपाते हुए आवदेन दिया है। उसकी भी इनकम ज्यादा है। इसके बाद उसका प्रार्थना पत्र कानूनी रूप से योग्य नहीं है।
पत्नी की ओर से दिए गए शपथ पत्र के अनुसार सैलरी के रूप में 1,09,258 रुपए और अन्य भत्तों में 14,500 रुपए प्रति माह मिलते हैं। वह हाउसिंग लोन के 13 हजार और कार की EMI के 14 हजार रुपए देती है। इसतरह की तमाम कटौतियों के बाद हर महीने 70 हजार 939 रुपए सैलरी मिल रही है।
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस और तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कहा कि प्रार्थियां ने हायर एजुकेशन ले रखी है और खुद उच्चाधिकारी के पद पर कार्यरत होकर 1 लाख रुपए महीना कमा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने नेहा बनाम रजनीश केस में फैसला दिया था कि प्रार्थी को केवल विलासितापूर्ण जीवन यापन करने के लिए भरण पोषण दिलाया जाना न्यायोचित नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर यह प्रथम दृष्ट्या जाहिर है कि पति और पत्नी समान रूप से उच्च शिक्षित हैं। दोनों उच्च पद पर कार्यरत होकर लगभग समान वेतन अर्जित कर रहे हैं।