Children cannot be treated as chattel : नाबालिक बच्चे की बंदी प्रत्यक्षीकरण के मामले पर Supreme Court ने अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एएस ओका और Justice A G मसीह की खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा है।
न्यायालय को मानवीय आधार पर कार्य करना होगा। जब कोर्ट किसी भी नाबालिक बच्चों (Minor children) के संबंध में विचार करता है। बच्चे को संपत्ति की तरह नहीं माना जा सकता है। बच्चे पर पडने वाले प्रभाव को भी न्यायालय को देखना होगा।
सुप्रीम कोर्ट में 2 साल 7 माह की बच्ची की कस्टडी से जुड़ा हुआ मामला पहुंचा था। 2022 में बच्ची की मां की मौत हो गई थी।
बच्ची मौसी के पास थी। हाईकोर्ट ने उस बच्ची को उसके पिता और दादा- दादी को सौंपने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है। High Court ने बच्ची के हित पर विचार नहीं किया।
हाईकोर्ट ने केवल पिता के अधिकार को मानते हुए बच्ची को कस्टडी (custody) में सौंपने के आदेश दिए थे। Supreme Court ने निर्देश जारी किया है।
21 सितंबर से प्रत्येक पहले, तीसरे और पांचवें शनिवार को बच्ची की मौसी 3 बजे, तथा बच्ची के पिता और दादा-दादी शाम 5 बजे बच्ची से मिल सकेंगे।