Assembly Elections Possible in Bihar before time : बिहार के CM नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) लोकसभा के समय से ही समय पूर्व चुनाव की इच्छा जताते रहे हैं।
भाजपा ने ही लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव कराने से मना कर दिया था। हालांकि भाजपा ने यह आश्वासन जरूर दिया था कि लोकसभा चुनाव के बाद कभी भी नीतीश चाहें तो चुनाव करा सकते हैं। संयोग से लोकसभा में जेडीयू को ठीक-ठाक सफलता मिल गई।
उसके बाद से नीतीश का उत्साह भी बढ़ा है। जिस तरह नीतीश सरकारी परियोजनाओं को लेकर सक्रिय हुए हैं, उससे तो यही लगता है कि भाजपा ने चुनाव का सिग्नल दे दिया है।
नीतीश कुमार जल्दी चुनाव कराने के पक्ष में हैं
नीतीश चाहते हैं कि चुनाव तक चल रही योजनाएं पूरी हो जाएं तो जनता के बीच जाने पर उन्हें यह बताने को मिल जाएगा कि पांच साल के दौरान राज्य सरकार ने कौन-कौन से काम किए हैं।
अगर समय से पहले बिहार में विधानसभा का चुनाव होता है तो ज्यादा संभावना है कि झारखंड के साथ ही यह हो। झारखंड के साथ नहीं हुआ तो दिल्ली के साथ भी हो सकता है। झारखंड में इसी साल के अंत में चुनाव होना है, जबकि दिल्ली में अगले साल फरवरी में होगा। बिहार विधानसभा चुनाव भी 2025 में ही होना है, लेकिन साल के आखिरी तिमाही में कार्यकाल पूरा होगा।
नीतीश कुमार जल्दी चुनाव कराने के पक्ष में हैं। वे लोकसभा के टेंपो को बरकरार रखना चाहते हैं। जिस तरह से नीतीश ने संगठन को दुरुस्त किया है और लोकसभा में कामयाबी हासिल की है, उससे उन्हें उम्मीद है कि इस बार विधानसभा चुनाव में भी बेहतर नतीजे आएंगे।
बेहतर नतीजे की उम्मीद इसलिए भी है कि चिराग पासवान इस बार एनडीए में हैं और उनसे व्यवधान की आशंका नहीं है। इसलिए कि वे अभी भाजपा के दबाव में हैं और भाजपा पर नीतीश कुमार का एहसान है।
जल्दी चुनाव की उम्मीद इसलिए भी है कि एनडीए में सीटों के बंटवारे पर भी मंथन शुरू हो गया है। एनडीए के घटक दल इशारों में अपनी सीटों की दावेदारी भी करने लगे हैं।
चिराग पासवान ने भी 50 सीटों की दावेदारी कर दी
RLM सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि लोकसभा की तरह विधानसभा में सीट बंटवारे का फार्मूला काम नहीं करेगा। लोकसभा में जो गड़बड़ी हुई, वह विधानसभा चुनाव में दुरुस्त हो जाएगी।
इसकी उन्हें पूरी उम्मीद है। चिराग पासवान ने भी 50 सीटों की दावेदारी कर दी है। जेडीयू और भाजपा की बातें अभी तक सामने तो नहीं आई हैं, लेकिन माना जा रहा है कि नीतीश कुमार हर बार की तरह इस बार भी बड़े भाई की भूमिका में होंगे।
लोकसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा को बड़ा भाई मान कर उससे एक सीट कम पर लड़ना कबूल कर लिया था। पिछली बार जेडीयू विधानसभा (JDU Assembly) की 115 सीटों पर लड़ा था और भाजपा के हिस्से में 110 सीटें थीं।
हालांकि पिछली बार चिराग पासवान NDA से अलग हो गए थे, इसलिए उन्हें हिस्सा देने की मजबूरी नहीं थी। इस बार साथ हैं तो उनका भी हिस्सा तो होगा ही। मुकेश सहनी अगर NDA में आ जाते हैं तो उनके लिए भी सीटों का बंदोबस्त करना पड़ेगा।