नई दिल्ली : किसानों के आंदोलन को विश्वस्तर पर फैलाने के लिए बनाए गए गूगल टूल किट केस में आरोपी दिशा रवि ने आज दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है।
उन्होंने एक याचिका दायर करते हुए दिल्ली पुलिस को यह निर्देश देने की अपील की है कि वह जांच सामग्री मीडिया में लीक न करे।
दिशा के वकील अभिनव सेखरी ने कहा कि वह याचिका को उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने का इंतजार कर रहे हैं और इसके बाद ही इस पर कोई टिप्पणी करेंगे। याचिका में मीडिया को उनके और तीसरे पक्ष के बीच व्हाट्सएप पर मौजूद किसी भी कथित निजी वार्तालाप की सामग्री या अन्य चीजें प्रकाशित करने से रोकने का भी अनुरोध किया है।
जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा साझा किए गए किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाले ‘टूलकिट गूगल दस्तावेज’ की जांच कर रही दिल्ली पुलिस ने बेंगलुरु की कार्यकर्ता दिशा रवि को गिरफ्तार किया है, जबकि मुम्बई की वकील जैकब और पुणे के इंजीनियर शांतनु मुलुक को अदालत ने अग्रिम जमानत दे दी है।
टूलकिट मामले की जांच आगे बढ़ने के क्रम में हर रोज नए तथ्य सामने आ रहे हैं।
दिल्ली पुलिस को पता चला है कि 20 जनवरी को टूलकिट का ड्राफ्ट फाइनल हो गया था। 23 जनवरी को ड्राफ्ट की फाइनल कॉपी निकिता के पास आई थी। इससे पहले कई बार जूम पर इन लोगों ने मीटिंग की थी।
पुलिस ने मैरिना पेटरसन नामक एक महिला के नाम का खुलासा किया। युनाइटेड किंगडम में रहने वाली यह महिला पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से जुड़ी हुई है।
टूलकिट ड्राफ्ट कराने में इसकी भी भूमिका सामने आई है।
वहीं, एक अन्य महिला थिलाका का भी नाम सामने आया है।
वह एक्सआर नामक एनजीओ से जुड़ी होने के अलावा पीजेएफ की पुनीत की करीबी है।
जांच कर रहे अधिकारियों का कहना है कि सभी एक-दूसरे से वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) के प्रोटोन, टेलीग्राम और सिग्नल के जरिये ही जुड़ते थे। कुछ मामलों में इनके व्हाट्सऐप से चैट का भी पता चला है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि नवंबर के आखिरी सप्ताह में किसान आंदोलन की शुरूआत होते ही टूलकिट के निर्माण की प्लानिंग शुरू हो गई थी।
इसके लिए पीजेएफ की पुनीत ने -फ्राईडे फॉर फ्यूचर-के साथ काम करने वाली निकिता और दिशा का पता लगाया। शांतनु इनके साथ एक्सआर एनजीओ से जुड़ा था।
टूलकिट तैयार करने के लिए एक दिसंबर को पुनीत ने इंस्टाग्राम के जरिये तीनों से संपर्क किया। इसके बाद दिशा ने 6 दिसंबर को एक व्हाट्सऐप ग्रुप बना लिया।
सभी एक दूसरे से जुड़े रहे और टूलकिट के बारे में बातचीत करते रहे। 3 जनवरी से टूलकिट के लिए काम शुरू हो गया।
9 जनवरी को तय किया गया कि ‘ग्लोबल डे ऑफ एक्शन’ आंदोलन टूलकिट के जरिये होगा।
11 जनवरी को एक ईमेल आईडी बनाई गई। 11 जनवरी को ही जूम पर मीटिंग हुई। जिसमें सभी लोग शामिल हुए हैं।