Vinod Singh met CM Hemant: भाकपा (माले) लिबरेशन के विधायक व प्रात्युक्त विधान समिति के सभापति Vinod Singh ने साेमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) को पत्र लिखकर तुरंत कैबिनेट बैठक कर लैंड बैंक नीति व भूमि अधिग्रहण कानून संशोधन रद्द करने की मांग की है।
पत्र में कहा गया है कि पूर्व की भाजपा-आजसू सरकार ने 2016 में लैंड बैंक (land bank) बनाया था, जिसके तहत राज्य के 22 लाख एकड़ सामुदायिक व गैर-मजरुआ ज़मीन को चिन्हित कर लैंड बैंक में पंजीकृत किया गया था।
इसके तहत कोई भी कंपनी किसी भी समय लैंड बैंक में डाले गए जमीन को चिन्हित कर बिना ग्राम सभा की सहमती के अधिग्रहण की मांग कर सकती है। सामुदायिक भूमि को लैंड बैंक में डालने से पहले ग्राम सभाओं की सहमती भी नहीं ली गयी थी।
यह भी कहा गया है कि रघुवर दास सरकार ने 2018 में भूमि अधिग्रहण कानून (झारखंड) संशोधन, 2017 बनाकर भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 में अहम संशोधन किया था।
भूमि अधिग्रहण कानून (झारखंड) संशोधन, 2017 के तहत निजी व सरकारी परियोजनाओं के लिए बिना ग्राम सभा की सहमति व सामाजिक प्रभाव आंकलन के बहुफसलीय भूमि समेत निजी व सामुदायिक भूमि का जबरन अधिग्रहण किया जा सकता है।
विनोद सिंह ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण कानून (झारखंड) संशोधन, 2017 व लैंड बैंक नीति स्पष्ट रूप से पेसा कानून एवं CNT-SPT कानून का उल्लंघन करते हैं।
गठबंधन दलों ने इन दोनों नीतियों का व्यापक विरोध किया
साथ ही राज्य के आदिवासी-मूलवासियों का सामुदायिक जल, जंगल, जमीन के साथ आजीविका के अलावा सांस्कृतिक जुड़ाव है। यह दोनों नीति व कानून किसी भी तरीके से झारखंड के आदिवासी-मूलवासी, किसान व वंचितों के पक्ष में नहीं हैं।
विधायक ने मुख्यमंत्री को याद दिलाया है कि गठबंधन दलों ने इन दोनों नीतियों का व्यापक विरोध किया था और इन्हें रद्द करने का वादा किया था।
पिछले पांच सालों में राज्य के आदिवासी-मूलवासी व विभिन्न जन संगठन लगातार इसका विरोध करते रहे हैं और इन्हें रद्द करने की मांग करते रहे हैं। इसलिए इन्हें रद्द करना जन अपेक्षा अनुरूप कार्रवाई होगी।
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव (Rameshwar Oraon) व सरकार के सहयोगी कांग्रेस पार्टी ने भी लैंड बैंक नीति और भूमि अधिग्रहण कानून (झारखंड) संशोधन, 2017 को तुरंत रद्द करने की मांग की है।