नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में एलएसी से हथियारों और सैनिकों को पीछे हटाने की चल रही प्रक्रिया के बीच चीन ने पहली बार गलवान घाटी में अपने पांच सैनिकों के मारे जाने की बात कबूली है।
इस खूनी झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग ने पांचों चीनी सैनिकों के बलिदान को याद किया है।
हालांकि गलवान घाटी में मारे गए पीएलए सैनिकों का यह आंकड़ा काफी कम है लेकिन चीन का यह पहला कबूलनामा दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ का पिघलना माना जा रहा है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पिछले साल 15/16 जून को गलवान घाटी में हुए खूनी संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे।
भारत के कर्नल संतोष बाबू को इस साल गणतंत्र दिवस पर देश के दूसरे सर्वोच्च युद्ध वीरता पुरस्कार ‘महावीर चक्र’ से नवाजा गया है।
इसी घटना में चीन के सैनिकों से मुकाबला करने वाले पांच और बहादुरों को ‘वीर चक्र’ दिया गया है जिनमें बिहार रेजिमेंट के नायब सूबेदार नंदू राम सोरेन, नायब सूबेदार दीपक सिंह, 81 फील्ड रेजिमेंट के हवलदार के.पलानी, पंजाब रेजिमेंट के सिपाही गुरतेज सिंह को मरणोपरांत यह सम्मान मिला है।
इसके अलावा बहादुरी से लड़कर घायल होने वाले हवलदार तेजेंदर सिंह को भी वीर चक्र दिया गया है। गलवान 20 ‘बलवानों’ के नाम नई दिल्ली स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल में शामिल किये गए हैं।
इसके अलावा इनकी याद में अक्टूबर, 2020 में लद्दाख के एक दौलत बेग ओल्डी में वॉर मेमोरियल बनाया गया था।
इस घटना के दूसरे दिन ही भारत ने अपने शहीदों के नाम का खुलासा कर दिया था लेकिन चीन ने अपने हताहतों के बारे में आज तक जानकारी नहीं दी।
लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर 10 माह तक चले गतिरोध के बाद अब जब भारत और चीन के बीच सीमा से पीछे हटने का समझौता हुआ है तो कम होते तनाव के बीच चीन ने पहली बार गलवान में मारे गए चार सैनिकों की जानकारी साझा की है।
चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक इस घटना में पीएलए शिनजियांग मिलिट्री कमांड के रेजिमेंटल कमांडर क्यूई फबाओ, चेन होंगुन, जियानगॉन्ग, जिओ सियुआन और वांग ज़ुओरन की मौत गलवान के खूनी झड़प में हुई थी।
एक अन्य चीनी सैनिक की मौत रेस्क्यू के वक्त नदी में बहने से हुई थी। चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग ने पांचों चीनी सैनिकों के बलिदान को याद किया है।
हालांकि गलवान घाटी में मारे गए पीएलए सैनिकों की बात चीन ने पहली बार कबूली है लेकिन यह आंकड़ा काफी कम है।
15 जून की शाम को 7 बजे चीन और भारतीय सैनिकों के बीच शुरू हुआ टकराव दूसरे दिन 16 जून को छिटपुट तरीके से आधी रात के बाद तक जारी रहा था।
तड़के अंधेरे में ही दोनों देशों के बीच घायल और मृत सैनिकों का आदान-प्रदान हुआ। भारत ने 16 चीनी सैनिकों के शव लिखत-पढ़त में सौंपे थे जिसमें चीन के 5 ऑफिसर भी शामिल थे।
इसके अलावा चीन के कई हेलीकॉप्टर दूसरे दिन 17 जून तक अपने घायल या मारे गए सैनिकों को गलवान घाटी से एयरलिफ्ट करके ले गए थे।
बीते दिनों नॉर्दन कमांड के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने भी बताया था कि इस गलवान की झड़प में चीनी सेना के काफी लोग मारे गए थे।
लेफ्टिनेंट जनरल जोशी के मुताबिक चीनी सैनिक 50 से ज्यादा जवानों को वाहनों में ले जा रहे थे लेकिन वे घायल थे या मरे, इसके बारे में कहना मुश्किल है।
वाईके जोशी ने कहा कि घटना के बाद ही रूसी समाचार एजेंसी ने 45 चीनी जवानों के मारे जाने की बात कही थी और हमारा अनुमान भी इसी के आसपास है।
अमेरिकी खुफिया का भी मानना है कि इस घटना में 45 चीनी सैनिकों की मौत हुई है।
बहरहाल गलवान हिंसा के 9 माह बाद चीन का कबूलनामा दोनों देशों के बीच समझौते के बाद रिश्तों पर जमी बर्फ के पिघलने का असर माना जा रहा है।