बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा विभिन्न समुदायों के आरक्षण आंदोलनों से निपटने के लिए संतों को मनाने की कोशिश करेंगे।
पता चला है कि उन्होंने अपने कैबिनेट मंत्रियों को निर्देश दिया है कि वे इन समुदायों के प्रतिष्ठित संतों का दिल जीतकर अपनी ओर करने की कोशिश करेंगे।
नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने आईएएनएस को बताया कि आरक्षण आंदोलन या तो आमतौर पर राजनेताओं के नेतृत्व में होते थे या सामुदायिक संगठनों के नेतृत्व में होते थे, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि राजनेता, धार्मिक नेता और संबंधित सामुदायिक संगठन एक साथ मिलकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।
नेता ने कहा, आंदोलन के मसले का हल तो मिला नहीं उलटे यह हमारे लिए बड़ी समस्या बन गया है। हमें इस मसले से निपटने के लिए ज्यादा समय की जरूरत है।
इसलिए, येदियुरप्पा ने कैबिनेट मंत्रियों से कहा है कि वे इस स्थिति से निपटने के लिए अपने संबंधित समुदाय के शक्तिशाली धर्मगुरुओं के साथ पिछले दरवाजे से रिश्ते बेहतर करें।
कर्नाटक के गृह, कानून और संसदीय मामलों के मंत्री, बसवराज बोम्मई ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया, मंत्रिमंडल ने आरक्षण को लेकर चल रहे आंदोलन पर चर्चा की।
बैठक में येदियुरप्पा ने केवल इस मुद्दे पर हमारी व्यक्तिगत राय मांगी थी और कुछ नहीं कहा था।
उन्होंने यह भी कहा कि अगले हफ्ते फिर से मंत्रिमंडल के सदस्यों के मिलने की संभावना है।
उन्होंने आगे कहा, येदियुरप्पा ने कहा है कि वह कानून और सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञों से आंदोलन को लेकर उनके विचार जानेंगे। इसके बाद ही वह हम इस विवादास्पद मुद्दे पर कुछ तय कर पाएंगे।
बोम्मई ने कहा कि कुरुबा समुदाय की मांग को स्वीकार या अस्वीकार करने से पहल उस समाज की जड़ों का अध्ययन करना जरूरी है।