Flying Kites increased in the sky of Jharkhand : झारखंड में पहले चरण के चुनाव (Election) का काउंट डाउन शुरू हो गया।
13 नवंबर को 43 सीटों के लिए वोट डाले जाने हैं। लिहाजा, आसमान में उड़न खटोलों (Flying cots) की संख्या बढ़ गई है। सभी पार्टियां वोटरों को रिझाने में जुटी हैं। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री समेत तमाम दलों के बड़े-बड़े नेताओं का दौरा हो रहा है।
सरना धर्म कोड, ओबीसी आरक्षण, यूसीसी, घुसपैठ, भ्रष्टाचार, परिवारवाद, क्राइम, पलायन जैसे मुद्दे छाए हुए हैं। दूसरी तरफ राजधानी में पोस्टर वार चल रहा है। भाजपा और झामुमो के बीच जनहितैषी साबित करने की होड़ मची हुई है।
शहर के सभी प्रमुख चौक-चौराहों पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर वाले पोस्टर दिखाए दे रहे हैं।
इससे यह भी साफ हो गया है कि इंडिया गठबंधन के लिए Hemant Soren चेहरा हैं, तो वहीं एनडीए के लिए मोदी। झामुमो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तस्वीर के साथ नारा दिया है ‘एक ही नारा, हेमंत दुबारा।
भाजपा यूथ का भरोसा जीतने में जुटी
इसके अलावा 40 लाख झारखंडियों को सर्वजन पेंशन के तहत 1000 हजार रुपये प्रति माह पेंशन की गारंटी, 200 यूनिट मुफ्त बिजली के साथ-साथ झामुमो ने सबसे ज्यादा फोकस मंईयां सम्मान योजना पर किया है। हेमंत साेरेन की तस्वीर के साथ विशाल पोस्टर लगाए गये हैं। इसमें ‘दिसंबर से हर मंईयां को 2500 रुपये का उपहार, हर बहना को हर साल 30 हजार’ का नारा दिया गया है।
इस चुनाव में NDA का नेतृत्व कर रही भाजपा ने भी पोस्टर बैनर के जरिए वादों की झड़ी लगा दी है। पार्टी ने ‘रोटी बेटी माटी की पुकार, झारखंड में भाजपा सरकार’ का स्लोगन दिया है। साथ ही 2.87 लाख खाली पदों पर सरकारी नौकरियों को भरने और पांच लाख स्वरोजगार का जिक्र कर भाजपा यूथ का भरोसा जीतने में जुटी है।
झामुमो के मंईयां सम्मान योजना (Mainiyan Samman Yojana) के काट के रुप में गो-गो दीदी योजना के जरिए हर माह 2100 रुपये को PM मोदी की गारंटी के रूप में पेश किया जा रहा है।
इन सबके बावजूद बैनर-पोस्टर के मामले में चुनाव आयोग ने पार्टियों को पीछे छोड़ दिया है। हर जगह बैनर और पोस्टर लगाकर वोट डालने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
इसके लिए एक से बढ़कर एक स्लोगन वाले बैनर लगाए गये हैं। जैसे, ‘मताधिकार-सपरिवार, नकदी, शराब, उपहार को करें अस्वीकार, बिकाऊ नहीं आपका मताधिकार, महिला-पुरुष-बुजुर्ग और यूथ, आओ मिलकर चलें पोलिंग बूथ’ जैसे स्लोगन लोगों को खूब आकर्षित कर रहे हैं। अब देखना है कि इसका कोई असर भी पड़ता है या नहीं।