जिनेवा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को चेतावनी दी है कि कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए एंटीवायरल ड्रग रेमेडिसविर का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, भले ही मरीज कितना भी बीमार क्यों न हो। क्योंकि इस दवा के प्रभावी होने के कोई सबूत नहीं है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने अपनी रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ के गाइडलाइन डेवलपमेंट ग्रुप (जीएचजी) के पैनल के हवाले से कहा, पैनल को ऐसे सबूत नहीं मिले हैं, जिससे पता चले कि रेमेडिसविर ने नतीजों में सुधार लाया हो या मरीजों की मृत्यु दर कम होने जैसे कोई अन्य फायदे सामने आए हों। ऐसे में रेमेडिसविर से नुकसान होने की संभावना बनी रहती है।
डब्ल्यूएचओ की यह सिफारिश ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित सबूतों की एक समीक्षा पर आधारित है जिसमें 7,000 से अधिक अस्पताल में भर्ती मरीजों के बीच 4 अंतरराष्ट्रीय रैंडम परीक्षण के डेटा शामिल थे।
समीक्षा के बाद, पैनल ने निष्कर्ष निकाला कि रेमेडिसविर का मरीजों के लिए मृत्यु दर या अन्य महत्वपूर्ण परिणामों पर कोई सार्थक प्रभाव नहीं है।
बता दें कि यह एंटीवायरल दुनिया भर में कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए अधिकृत केवल दो दवाओं में से एक है। अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य देशों में उपयोग के लिए इसे मंजूरी दी गई है क्योंकि प्रारंभिक शोध में पाया गया था कि इससे कुछ कोविड-19 रोगियों की रिकवरी जल्दी हो सकती है।
अमेरिकी कंपनी गिलियड द्वारा निर्मित रेमेडिसविर बेहद महंगी दवा है। कंपनी ने पिछले महीने कहा था कि इस दवा की तीसरी तिमाही की बिक्री में लगभग 900 मिलियन यानि कि 90 करोड़ डॉलर की बढ़ोतरी हुई है।
बता दें कि जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) के मुताबिक दुनिया में कोविड-19 से 5,68,17,667 संक्रमित और 13,58,489 मौतें दर्ज हो चुकी हैं।