Supreme Court expressed strong objection to keeping Bail Petitions Pending: जमानत याचिकाओं को लंबित (Bail Petitions Pending) रखने की प्रवृत्ति की निंदा करते हुए Supreme Court ने कहा है कि ऐसे मामलों पर फैसले में देरी से नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण न्याय का एक अनिवार्य पहलू है। जमानत याचिकाओं पर फैसला सालों तक लटकाए रखने की प्रवृत्ति न्याय के मौलिक सिद्धांतों के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को दिया निर्देश
यह टिप्पणी एक याचिकाकर्ता के मामले पर सुनवाई के दौरान आई, जिसमें बताया कि उसकी जमानत याचिका अगस्त 2022 से Allahabad High Court में लंबित है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मामले को बार-बार स्थगित कर दिया जा रहा है, जिससे याचिकाकर्ता की व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रभावित हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) को निर्देश दिया कि 11 नवंबर को सुनवाई की तिथि तय है इस मामले पर फैसला लिया जाए। कोर्ट ने यह भी आग्रह किया कि हाईकोर्ट के न्यायाधीश इस मामले को शीघ्रता से निपटाएं, ताकि नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा तय की जा सके।