नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर सरकार और न्यायपालिका सख्त रुख अपनाने जा रही है।
सरकार और कोर्ट के अनुरोध पर सोशल मीडिया कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म से ‘गैर-कानूनी’ पोस्ट को 36 घंटे के अंदर हटाना होगा।
पहले यह समयसीमा 72 घंटों की थी। इसके अलावा भी इन सोशल मीडिया कंपनियों को नागरिकों/यूजर्स के अनुरोधों के प्रति पहले से अधिक उत्तरदायी बनाया जा सकता है। इसके लिए इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी नियमों में बदलाव होगा।
इस नियम के तहत ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हॉट्सऐप और गूगल जैसे इंटरमीडियारिज़ का संचालन होता है।
नये नियम के तहत 50 लाख से ज्यादा यूजर्स वाली कंपनी को भारत में भी अपना ऑफिस खोलना अनिवार्य किया जा सकता है।
साथ ही इन कंपनियों को एक नोडल अधिकारी भी नियुक्त करना होगा ताकि कानून प्रवर्तन एजेंसियां जरूरत पड़ने पर इनसे संपर्क कर सकें।
इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इंटरमीडियरिज गाइडलाइंस रूल्स, 2011, के तहत सरकार चाहती है कि सोशल मीडिया कंपनियां गैर-कानूनी कॉन्टेन्ट को अपने प्लेटफॉर्म से हटाने के लिए अधिक उत्तरदायी बनें।
आईटी एक्ट के सेक्शन 79 में इंटरमीडियरीज के लिए ऐसा प्रावधान है।
नोटिफाई किए जाने के बाद इन संशोधनों को लागू कर दिया जाएगा।
इसके बाद अगर किसी सोशल मीडिया कंपनी को कोर्ट या सरकार से आदेश मिलता है तो उन्हें 36 घंटे के अंदर अपने प्लेटफॉर्म से पोस्ट हटाने होंगे। एक रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।
नये नियम 2011 में लागू किए गए नियम की जगह लेंगे।
इसके साथ ही ये कंपनियां अपने यूजर्स को समय-समय पर नियम के अनुपालन के बारे में जानकारी देने के लिए बाध्य होंगी।
ये कंपिनयां अपने यूजर्स से प्राइवेसी पॉलिसी पर सहमत होने के लिए भी कहेंगी।
संशोधित नियम में यह भी प्रावधान होगा कि ये कंपनियां कुछ ऐसे ऑटोमेट टूल्स को तैनात करें जो तत्परता से गैर-कानूनी जानकारी या कॉन्टेन्ट को हटा सकें या लोगों तक इनकी पहुंच को कम कर सकें।
इस रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह भी कहा गया है कि सरकार इन कंपनियों से इस तरह के गैर-कानूनी कॉन्टेन्ट के सोर्स के बारे में भी जानकारी मांग सकती है ताकि ऐसे अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
वर्तमान में, व्हॉट्सऐप जैसी कंपनियां लगातार इस तरह की जानकारी देने से मना करती रही हैं।
इन कंपनियों का कहना है कि उनक प्लेटफॉर्म पर कम्युनिकेशंस एंड-टू-एड इनक्रिप्टेड हैं, इसलिए वो गैर-कानूनी कॉन्टेन्ट के सोर्स के बारे में नहीं पता लगा सकती हैं।
इस तरह के कानून की जानकारी रखने वालों का कहना है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी 36 घंटे के अंदर गैर-कानूनी कॉन्टेन्ट को हटाने का प्रावधान शामिल है। कई पश्चिमी देशों में ऐसे नियम पहले से ही लागू हैं।
आईटी एक्ट के सेक्शन के 79 के तहत इंटरमीडियरीज गाइडलाइंस को एक ऐसे समय संशोधित किया जा रहा है, जब सरकार के अंदर ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर गैर-कानूनी कॉन्टेन्ट बढ़ाने को लेकर चिंता है।