नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी की नेता एवं विधायक आतिशी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि, दिल्ली में प्रति वर्ष अक्टूबर एवं नवंबर के महीने में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि दिल्ली में रहने वाले लोगों को सांस लेने तक में तकलीफ होती है।
यदि इसके पीछे के कारण को देखा जाए तो पता चलता है कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के कारण अचानक से अक्टूबर और नवंबर के महीने में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
उन्होंने कहा कि, बिगड़ी हुई परिस्थितियों के जिम्मेदार हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने इस पराली को जलाने की समस्या के निवारण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। जबकि दिल्ली में स्थित पूसा इंस्टीट्यूट ने खेत में ही पराली को डीकंपोज करने की एक बेहतरीन तकनीक इजाद की है। जिससे पराली को बिना जलाए बहुत ही सस्ते दामों पर खेत में ही डीकंपोज किया जा सकता है।
इस तकनीक के द्वारा पराली को खेत में ही मात्र 30 रुपए प्रति एकड़ के खर्च पर खाद बनाया जा सकता है। परंतु फिर भी पंजाब और हरियाणा की सरकारों ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया।
पंजाब और हरियाणा की सरकारों के खिलाफ उनके इस लापरवाह रवैये को देखते हुए सख्त से सख्त कार्यवाही के आदेश दिए जाएं।
हम एयर क्वालिटी कमीशन से मिलकर यह भी अनुरोध करना चाहते हैं कि वह पंजाब और हरियाणा की सरकारों को आदेश दें कि जब दिल्ली में स्थित पूसा इंस्टीट्यूट ने एक समाधान पराली को जलाने से रोकने के लिए निकाला है, तो हरियाणा और पंजाब की सरकारें उसको प्रयोग में क्यों नहीं ला रहीं? क्यों नहीं हरियाणा और पंजाब में पराली के जलने से होने वाले प्रदूषण को रोकने में इसका इस्तेमाल कर रहीं?
आतिशी ने बताया कि, हमें इस बात की खुशी है कि एयर क्वालिटी कमीशन की ओर से हमें एक जवाब प्राप्त हुआ है और एयर क्वालिटी कमीशन के चेयर पर्सन ने सोमवार सुबह 11.00 बजे, हमें मिलने का समय दिया है।
उन्होंने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि जब हम हरियाणा और पंजाब में पराली को जलाने के तथ्य कमीशन के समक्ष प्रस्तुत करेंगे, तो चेयर पर्सन न केवल दोनों राज्य की सरकारों को पराली जलाने को रोकने के आदेश देंगे, बल्कि दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करेंगे। क्योंकि हर वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी हरियाणा और पंजाब की सरकारें पराली को जलाने से रोक नहीं पाई हैं।