Coup in Syria: दिल्ली से करीब 4 हजार किलोमीटर की दूरी पर स्थित दमिश्क में तख्तापलट (Coup in Damascus) हुआ है। सीरिया के राष्ट्रपति बशर-अल-असद (Bashar Al Assad) को विद्रोहियों के डर से देश छोड़ना पड़ा है।
असद सरकार का गिरना यूं सीरिया का आंतरिक मामला है, लेकिन इससे विदेश मोर्चे और कश्मीर के मसले पर भारत की चिंता बढ़ गई है।
इसकी वजह असद सरकार सेक्युलर थी और हमेशा ही कश्मीर के मसले पर भारत के रुख का समर्थन किया था। यहां तक कि इस्लामिक सहयोग संगठन में भी तुर्की और मलयेशिया जैसे देशों के इतर सीरिया का रुख कभी भारत के खिलाफ नहीं गया।
कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान के रुख का समर्थन किया
2019 में आर्टिकल 370 हटने के बाद जब तुर्की जैसे देशों ने इस पर टिप्पणी की थी, तब असद सरकार का कहना था कि यह भारत का आंतरिक मामला है। लेकिन अब जिस तहरीर अल शाम नाम के संगठन का सीरिया की सत्ता पर कब्जा किया है, वहां तुर्की का समर्थक है।
वहीं तुर्की, जो कि कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान के रुख का समर्थन किया था। कई बार चेतावनी जारी करने के बाद तुर्की संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर भारत को चुभने वाली बात करता रहा है।
कहा जाता है कि इस विद्रोही संगठन (Rebel Organization) को तुर्की का समर्थन हासिल है। उसकी ओर से इन लोगों को हथियार मिलते हैं। एक चिंता की बात भारत के लिए यह भी है कि असद सरकार की विदाई से इस्लामिक स्टेट जैसे खूंखार आतंकी संगठन का फिर से उभार हो सकता है। इस्लामिक स्टेट को 2014 में असद सरकार ने रूस और ईरान की मदद से नेस्तनाबूद कर दिया था। अब इसके फिर से उभरने का डर है।