Cases of Fraudulent Employment: शुक्रवार को CBI के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा ने रांची के पिपरवार क्षेत्र में अधिग्रहित जमीन के एवज में फर्जी तरीके से CCL में नौकरी देने से जुड़े 29 साल पुराने मामले (Fraudulent Employment Case) में 22 अभियुक्तों को दोषी करार कर 3-3 साल कैद की सजा सुनाई।
सजा पाने वाले सभी लोग ऐसे हैं, जिन्होंने एक इंच जमीन दिए बिना अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज जमा कर नौकरी पा ली थी। दो आरोपियों को साक्षी के अभाव में बरी कर दिया गया है।
सजा पाने वालों में सीसीएल के तत्कालीन जीएम भी
अदालत ने CCL के तत्कालीन जीएम हरिद्वार सिंह (GM Haridwar Singh) और उनके बेटे प्रमोद कुमार सिंह समेत मनोज कुमार सिंह, कृष्ण नंद दुबे, मुरारी कुमार दुबे, मनोज पाठक, प्रमोद कुमार, दिनेश रॉय, ललित मोहन सिंह, संजय कुमार, मनदीप राम, बैजनाथ महतो, हेमाली चौधरी, बिनोद कुमार, जयपाल सिंह, बिपिन बिहारी दुबे, बंसीधर दुबे, निरंजन कुमार, अजय प्रसाद, केदार प्रसाद, परमानंद वर्मा और गुरुदयाल प्रसाद को सजा दी है।
अदालत ने हरिद्वार सिंह पर 58 हजार और अन्य 21 अभियुक्तों पर 8-8 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। दो आरोपी एमके सिन्हा एवं दशरथ गोप को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में मुक्त कर दिया।
18 अगस्त 1998 को सीबीआई ने दर्ज की थी FIR
यह फर्जीवाड़ा साल 1998 में उस समय उजागर हुआ, जब वास्तविक हकदार अधिग्रहित जमीन के कागजात लेकर नौकरी मांगने पहुंचे थे।
इसके बाद CBI ने 18 अगस्त 1998 में FIR दर्ज की थी। पांच साल बाद जांच पूरी कर 3 मई 2003 को चार्जशीट दाखिल हुई थी।