Makar Sankranti: मकर संक्रांति पौष शुक्ल द्वादशी को मनाया जाता है। इसे लोहड़ी, पोंगल, खिचड़ी (Lohri, Pongal, Khichdi) जैसे नामों से जाना जाता है। इस दिन खरमास समाप्त होता है, और विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य आरंभ होते हैं।
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) सनातन धर्म में विशेष स्थान रखती है। इस दिन सूर्य दक्षिण से उत्तर गोलार्द्ध में प्रवेश करते हैं और मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है। सूर्य देव की पूजा और धार्मिक कार्य इस पर्व पर खास महत्व रखते हैं।
खगोलशास्त्र और परंपराओं का यह अद्भुत संगम भारत समेत दुनियाभर में मनाया जाता है। इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी, मंगलवार को मनाई जाएगी।
मकर संक्रांति और भीष्म पितामह का आध्यात्मिक संबंध
महाभारत की कथा में मकर संक्रांति का गहरा आध्यात्मिक महत्व है। भीष्म पितामह, जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था, सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश का इंतजार कर रहे थे।
शास्त्रों के अनुसार, उत्तरायण में मृत्यु मोक्ष (Salvation from Death) प्रदान करती है, जबकि दक्षिणायन में मृत्यु पुनर्जन्म के चक्र में बांधती है। मकर संक्रांति का यह समय मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना गया है।
मकर संक्रांति और उत्तरायण: शुभ समय का प्रारंभ
मकर संक्रांति सूर्य के मकर रेखा पार कर उत्तरायण की ओर बढ़ने का दिन है। इस खगोलीय परिवर्तन के बाद दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं।
वेदिक परंपराओं (Vedic traditions) में उत्तरायण को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात माना गया है। इसे देवायण और पितृायण भी कहते हैं। उत्तरायण के दौरान किए गए शुभ कार्यों का विशेष महत्व होता है और इनसे असीम पुण्य की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति पर करें ये खास कार्य, मिलेगा अपार पुण्य
मकर संक्रांति एक शुभ पर्व है, जब धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व होता है। इस दिन स्नान, दान और सूर्य देव की पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
तिल-गुड़ का दान, गरीबों को अन्न और वस्त्र देना तथा पवित्र नदियों में स्नान करने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किए गए शुभ कार्य जीवन में सुख-समृद्धि लाते हैं।
मकर संक्रांति पर पवित्र स्नान का महत्व
मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान को शुभ माना जाता है। अगर नदी स्नान संभव न हो, तो गंगाजल या शुद्ध पानी में तिल डालकर घर पर स्नान करें। इससे शुद्धि और पुण्य की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति पर सूर्य को जल अर्पित करें
मकर संक्रांति पर सूर्य देव (god Surya) को जल चढ़ाने का विशेष महत्व है। तांबे के बर्तन में पानी, लाल फूल और तिल मिलाकर सूर्य देव को अर्पित करें। इससे सूर्य देव की कृपा और जीवन में शुभता प्राप्त होती है।
मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ का दान: विशेष पुण्य का अवसर
मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ का सेवन और दान शुभ माना जाता है। यह दान जीवन की कड़वाहट को मिठास में बदलने का प्रतीक है और इससे विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति पर सूर्य को खिचड़ी अर्पित करें
मकर संक्रांति पर सूर्य देव को खिचड़ी और तिल-गुड़ (Khichdi and Sesame-Jaggery) का प्रसाद अर्पित करना शुभ होता है। इसके बाद प्रसाद दूसरों में बांटने से पुण्य और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।
मकर संक्रांति पर सूर्य मंत्र का जाप करें
मकर संक्रांति के दिन “ॐ सूर्याय नमः” या “ॐ नमो भगवते सूर्याय” का जाप करें। इससे जीवन में शांति, सुख और खुशहाली आती है।
मकर संक्रांति पर दान-पुण्य का महत्व
मकर संक्रांति पर गरीबों को भोजन, कपड़े और धन दान करना अत्यधिक पुण्यदायक होता है। इस दिन दान देने से विशेष आध्यात्मिक लाभ और पुण्य की प्राप्ति होती है।