HMPV Prevention: दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. गरिमा श्रीवास्तव (Assistant Professor Dr. Garima Srivastava) ने HMPV से सुरक्षित रहने के लिए आयुर्वेदिक उपायों की जानकारी दी।
स्वास्थ्य विभागों ने कई राज्यों में श्वसन संबंधी बीमारियों के बढ़ते मामलों, विशेष रूप से ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के कारण होने वाली बीमारियों के बीच अपनी निगरानी बढ़ा दी है।
विशेषज्ञों के अनुसार, HMPV एक श्वसन वायरस है जो सामान्य सर्दी के लक्षणों जैसा प्रभाव डालता है, लेकिन कुछ मामलों में यह गंभीर स्थितियाँ जैसे निमोनिया, अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) का कारण बन सकता है। विभागों ने HMPV के मामलों की जल्द पहचान के लिए सतर्कता बढ़ा दी है।
HMPV से बचाव के लिए आयुर्वेदिक उपायों की सलाह
विशेषज्ञों का कहना है कि HMPV वायरस शिशुओं, बच्चों और वृद्धों के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है, जिससे बचने के लिए लोग अब प्राकृतिक तरीकों को अपनाना चाहते हैं।
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA) के स्वास्थ्यवृत्त विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. गरिमा श्रीवास्तव ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार HMPV वायरस क्या है और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है। उन्होंने श्वसन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए जीवनशैली में बदलाव और
आयुर्वेदिक उपायों की जानकारी दी।
AIIA की आयुर्वेदिक डॉक्टर डॉ. गरिमा श्रीवास्तव ने HMPV के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह वायरस है और आयुर्वेद में इसे ‘आगंतुक व्याधि’ के तहत वर्णित किया गया है, जिसका अर्थ है कि यह हमारे पर्यावरण से उत्पन्न संक्रमण के कारण होता है।
उन्होंने बताया कि HMPV श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है और आयुर्वेद के अनुसार यह वात और कफ दोष प्रधान बीमारी है। डॉ. श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि इस वायरस से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले समूह में अस्वस्थ व्यक्ति, बच्चे और वृद्ध शामिल हैं।
“वात और कफ दोष के बिगड़ने से HMPV का जोखिम बढ़ सकता है, डॉ. गरिमा का बयान”
डॉ. गरिमा श्रीवास्तव ने बताया कि वात और कफ दोष शरीर के महत्वपूर्ण दोष हैं जो शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करते हैं। यदि इनका संतुलन बिगड़ता है, तो शरीर में विकार उत्पन्न होते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि भीड़भाड़, अस्वच्छता, कमजोर इम्यूनिटी, बिना पोषण वाला खानपान और सुस्त लाइफस्टाइल HMPV के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
HMPV से बचाव के लिए आयुर्वेदिक खानपान और जीवनशैली के सुझाव
डॉ. गरिमा श्रीवास्तव ने HMPV से बचाव के लिए खानपान और जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी। उन्होंने ठंडे खाद्य पदार्थ, बासी भोजन और जंक फूड से बचने, ताजे और गर्म तासीर वाले भोजन का सेवन करने की सलाह दी।
इसके अलावा, प्रोटीन युक्त भोजन, हल्दी वाला गर्म दूध, च्यवनप्राश और आयुष क्वाथ पाउडर लेने, नस्य और भाप लेने, गुनगुने पानी का सेवन करने, नियमित योग और नाड़ी शोधन प्राणायाम करने की भी सलाह दी।
“HMPV से बचाव के लिए आयुर्वेदिक उपाय, डॉ. गरिमा ने बताए सुरक्षित रहने के तरीके”
डॉ. गरिमा श्रीवास्तव ने HMPV से बचाव के लिए आयुर्वेदिक तरीकों को अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “ठंडे खाद्य पदार्थ, बासी भोजन और जंक फूड से बचना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार, भोजन पकाने के 3 घंटे बाद उसमें पौषक तत्व कम हो जाते हैं, इसलिए हमेशा ताजा बना हुआ भोजन खाएं।” उन्होंने गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थ जैसे शहद, अदरक, गुड़, तिल, मूंगफली, दालचीनी, कालीमिर्च, जायफल और लौंग को आहार में शामिल करने की सलाह दी, जिससे वात और कफ दोष से मुक्ति मिल सके।
HMPV से बचाव के लिए प्रोटीन और हल्दी के सेवन की सलाह
विशेषज्ञों ने HMPV से बचाव के लिए खानपान में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों (Protein Rich Foods) को शामिल करने की सलाह दी है। दाल, पनीर और डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे प्रोटीन के अच्छे स्रोत माने जाते हैं।
इसके अलावा, हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो शरीर को अंदर से गर्म रखते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि रोजाना गर्म दूध में 1 चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर सेवन करना सेहत के लिए लाभकारी हो सकता है।
HMPV से बचाव के लिए च्यवनप्राश और आयुष क्वाथ के सेवन की सलाह
विशेषज्ञों ने HMPV से बचाव के लिए च्यवनप्राश और आयुष क्वाथ के सेवन की सलाह दी है। च्यवनप्राश एक गाढ़े-मीठे पेस्ट के रूप में आता है, जिसमें जड़ी-बूटियों, फलों और अन्य पोषक तत्वों का मिश्रण होता है, जो शरीर को ऊर्जा और मजबूती देने के साथ-साथ इम्यूनिटी
को बढ़ाता है। वहीं, आयुष क्वाथ आयुर्वेद की एक पारंपरिक रेसिपी है, जिसमें तुलसी, दालचीनी, सुन्थी और काली मिर्च जैसी जड़ी-बूटियां होती हैं, जो इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मदद करती हैं।
HMPV से बचाव के लिए नस्य चिकित्सा और भाप लेने की सलाह
विशेषज्ञों ने HMPV से बचाव के लिए नस्य चिकित्सा और भाप लेने की सलाह दी है। नस्य चिकित्सा का मुख्य उद्देश्य शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालना है, और इससे नाक की सफाई भी होती है, जो मस्तिष्क के कार्यों को उत्तेजित करती है। इस प्रक्रिया में नाक के दोनों नथुने में अणु तेल की 2-2 बूंदें डाली जाती हैं और इसके बाद भाप ली जाती है, जिससे श्वसन तंत्र को लाभ मिलता है।
“HMPV से बचाव के लिए गर्म पानी और योग की सलाह”
विशेषज्ञों ने HMPV से बचाव के लिए ठंडे पानी की बजाय हल्का गर्म या गुनगुना पानी पीने की सलाह दी है। इसके साथ ही, फिजिकल एक्टिविटी के साथ योग को भी अपनी दिनचर्या में शामिल करने की सलाह दी गई है, जिससे शरीर की इम्यूनिटी मजबूत होती है।
“HMPV से बचाव के लिए नाड़ी शोधन प्राणायाम की सलाह”
विशेषज्ञों ने HMPV से बचाव के लिए रोजाना नाड़ी शोधन प्राणायाम, जिसे अनुलोम विलोम प्राणायाम भी कहा जाता है, करने की सलाह दी है। यह प्राणायाम योग और ध्यान (Pranayama yoga and Meditation) का हिस्सा है, जिससे शरीर की नाड़ियां साफ होती हैं और मन शांत रहता है।
विशेषज्ञों ने आयुर्वेदिक तरीकों से इम्यूनिटी (Immunity) बढ़ाने और वात-कफ दोष को दूर करने की सलाह दी है, जिससे आगंतुक व्याधियों से बचाव संभव है। हालांकि, लक्षण दिखने पर तुरंत किसी विशेषज्ञ से संपर्क करना भी आवश्यक है।