Two Satellites added to Space: 30 दिसंबर 2024 को ISRO ने SpaDeX मिशन के तहत दो छोटे सैटेलाइट – SDX01 (चेसर) और SDX02 (टारगेट) को पृथ्वी की निम्न कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया।
यह उपलब्धि भारत को अंतरिक्ष में सैटेलाइट डॉकिंग तकनीक (Docking technology) विकसित करने वाले चौथे देश के रूप में स्थापित करती है।
ISRO ने गुरुवार को SpaDeX मिशन के तहत दो सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक डॉक कर इतिहास रच दिया। भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बन गया। ISRO ने सोशल मीडिया पर इसे “डॉकिंग में ऐतिहासिक सफलता” करार देते हुए इसे भारत के लिए गर्व का क्षण बताया।
ISRO ने तीसरे प्रयास में डॉकिंग सफलता प्राप्त की
ISRO ने 7 और 9 जनवरी को तकनीकी समस्याओं के कारण डॉकिंग का प्रयास विफल किया था। 12 जनवरी को सैटेलाइट्स को 15 मीटर और 3 मीटर की दूरी तक लाने में सफलता प्राप्त की गई।
इसके बाद सैटेलाइट्स को सुरक्षित दूरी पर ले जाकर डॉकिंग प्रक्रिया को पूरा किया गया। इसरो ने डेटा विश्लेषण के बाद डॉकिंग को सफल बताया।
इसरो ने SpaDeX मिशन से रचा इतिहास, डॉकिंग तकनीक का सफल परीक्षण
30 दिसंबर, 2024 को इसरो ने SpaDeX मिशन के तहत दो छोटे सैटेलाइट्स – SDX01 और SDX02 – को पृथ्वी की निम्न कक्षा में स्थापित किया, जिससे भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में डॉकिंग तकनीक का सफल प्रदर्शन हुआ।
इसरो की डॉकिंग तकनीक भविष्य के महत्वपूर्ण मिशनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। चंद्रयान-4 जैसे मिशनों में, जो चंद्रमा से सैंपल लेकर पृथ्वी पर वापस लाने का कार्य करेगा, यह तकनीक जरूरी होगी। इसके अलावा, भारत के अंतरिक्ष स्टेशन “भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन” की स्थापना के लिए भी डॉकिंग तकनीक का बड़ा योगदान होगा, जिसे 2028 तक लॉन्च करने की योजना है।
डॉकिंग प्रक्रिया की चुनौतियां और सफलता
इसरो के SpaDeX मिशन में डॉकिंग प्रक्रिया में कई जटिलताओं का सामना करना पड़ा। मिशन के तहत पहले दोनों सैटेलाइट्स को 20 किलोमीटर की दूरी पर रखा गया, इसके बाद चेसर सैटेलाइट (Chaser Satellite) ने टारगेट सैटेलाइट के पास जाकर क्रमशः 5 किमी, 1.5 किमी, 500 मीटर, 225 मीटर, 15 मीटर और अंततः 3 मीटर की दूरी तय की। इसके बाद दोनों सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक जोड़ा गया।
डॉकिंग के बाद, सैटेलाइट्स के बीच बिजली के ट्रांसफर का परीक्षण किया गया, और फिर दोनों को अलग कर उनके संबंधित पेलोड संचालन को शुरू किया गया।
भविष्य में डॉकिंग तकनीक का अहम उपयोग, चंद्रयान-4 और मानव मिशन में भूमिका
इसरो की डॉकिंग तकनीक भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी। चंद्रयान-4 मिशन (Chandrayaan-4 Mission) में दो मॉड्यूल्स को अलग-अलग लॉन्च वाहनों से लॉन्च किया जाएगा, जो गियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में डॉक करेंगे। इस मिशन में चंद्रमा से सैंपल इकट्ठा करने और उन्हें पृथ्वी पर वापस लाने के लिए डॉकिंग तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
इसके अलावा, भारत के मानव मिशन और अंतरिक्ष स्टेशन (Human Missions and Space Stations) के लिए भी इस तकनीक को आगे बढ़ाने की योजना है। SpaDeX मिशन के सफल डॉकिंग परीक्षण ने इसरो को अंतरिक्ष विज्ञान में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि दिलाई है, जो आने वाले समय में भारत के अंतरिक्ष अभियानों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।