Supreme Court Reprimanded ED: मनी लॉन्ड्रिंग केसों (Money Laundering Cases) की जांच करने वाली ED को Supreme Court ने फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी लोगों को जेल में रखना चाहती है।
सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में नाबालिगों, महिलाओं या बीमार लोगों को जमानत देने पर PMLA के प्रावधानों के विपरीत ‘अनजाने’ में दलीलें रखने पर ED को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एजेंसी का इरादा आरोपियों को जेल में रखने का है। वह ऐसी बेतुकी दलीलों को बर्दाश्त नहीं करेगा।
ED ने मानी अपनी गलती
एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की फटकार के बाद ED ने अपनी गलती मानी। ED की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने माना कि एक विधि अधिकारी ने दलील पेश करते समय गलती की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर आरोप गंभीर हैं तो नरमी नहीं बरती जानी चाहिए।
इस पर कोर्ट ने साफ कहा कि संवादहीनता का कोई सवाल ही नहीं है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी उस बात पर थी, जब ED की ओर से पेश एक विधि अधिकारी ने 19 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि भले ही कोई व्यक्ति 16 साल से कम उम्र का हो, महिला हो, बीमार या कमजोर व्यक्ति हो, कड़ी शर्तें PMLA उन पर लागू होगी।
तब ED की ओर से पेश अधिकारी शशि बाला की जमानत याचिका का विरोध कर रहे थे। शशि बाला पर शाइन सिटी ग्रुप ऑफ कंपनीज स्कैम मामले (Shine City Group of Companies Scam Cases) में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। वह पेशे से एक सरकारी शिक्षिका हैं।