Land Grab : शहर के सोनवाडंगाल में शनिवार को दंडाधिकारी की मौजूदगी में पुलिस और कोर्ट के कर्मचारियों ने करीब 45 साल से रह रहे Dharmendra Mandal को उनके मकान से बेदखल कर कोर्ट के आदेशानुसार मनोज कुमार साह को तीन कट्ठा जमीन पर कब्जा दिलाया।
स्थानीय लोगों के भारी विरोध के चलते प्रशासन को कब्जा दिलाने में करीब पांच घंटे लग गए। अदालत के इस फैसले से नाराज धर्मेंद्र मंडल ने जिला जज की अदालत में पुनः अपील करने का निर्णय लिया है।
45 साल पुराना मामला, कोर्ट ने छह साल पहले सुनाया था फैसला
सोनवाडंगाल में करीब 45 साल पहले रैयत Ashish Kumar Dey ने प्लॉट संख्या 435 की छह बीघा जमीन दान में दी थी। इस जमीन में से कुछ हिस्सा धर्मेंद्र मंडल समेत छह अन्य लोगों को मिला था, जिस पर धर्मेंद्र मंडल मकान बनाकर रह रहे थे।
1992 में मनोज कुमार साह ने सुनील कुमार डे से तीन कट्ठा जमीन की रजिस्ट्री करवाई और कब्जा दिलाने के लिए Civil Court में मुकदमा दायर किया।
धर्मेंद्र मंडल ने पहले इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन मनोज लगातार कोर्ट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे। छह साल पहले कोर्ट ने मनोज के पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन धर्मेंद्र मंडल ने जमीन देने से इनकार कर दिया। इसके बाद मनोज ने पुनः कोर्ट की शरण ली, जिसके बाद अदालत ने पुलिस को जमीन पर कब्जा दिलाने का आदेश दिया।
ढोल-नगाड़े बजाकर कब्जा दिलाने की प्रक्रिया पूरी
कोर्ट के आदेश पर शनिवार को सीओ अमर कुमार समेत कई प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस बल मौके पर पहुंचे। दस्तावेजों की जांच के बाद दखल दिलाने की प्रक्रिया शुरू हुई। स्थानीय लोग और धर्मेंद्र मंडल के समर्थक इसका विरोध करने लगे, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया।
विरोध को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को अतिरिक्त बल बुलाना पड़ा। अंततः ढोल-नगाड़ों की गूंज के बीच मनोज कुमार साह को उनके दावे की जमीन पर कब्जा दिलाया गया।
फैसले से असंतुष्ट धर्मेंद्र मंडल जाएंगे जिला जज की अदालत
इस फैसले से असंतुष्ट धर्मेंद्र मंडल ने जिला जज की अदालत में पुनः पैरवी करने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि जिस जमीन पर मनोज कुमार साह दावा कर रहे हैं, वह उनकी नहीं है और इस मामले में न्याय के लिए वे आगे लड़ाई जारी रखेंगे।
इस घटनाक्रम के बाद इलाके में चर्चा का माहौल गरम है और स्थानीय लोग इस मुद्दे पर बंटे हुए नजर आ रहे हैं।